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आगत के चरणों में स्वागत करने हम बैठे हैं……

आज का दिन ऐसा है कि दिल में एक ख़ुशी,गर्व और संतोष की अनुभूति हो रही है क्योंकि हमारी वायु सेना का जांबाज़ विंग कमांडर अभिनन्दन लौट कर आज हम सबके बीच अपने घर वालों के साथ होगा लेकिन उसी के साथ आज उन वीर सैनिकों का ध्यान एक पल के लिए भी दिल से नही जा पा रहा जो शहीद हो चुके हैं और अब कभी भी हमारे और अपने परिवार के बीच नही आ पाएँगे।आज उनके परिवार का दुःख सोच-सोचकर मन व्यथित है।लेकिन मैं आज के दिन से एक बात नहीं भूलना चाहूंगी कि अपनी इस वेदना को हम सही दिशा दें और जैसे हमारे ये वीर सैनिक और इनके परिवार अपने देश के पीछे जान की बाज़ी लगाने से भी नही चूकते वैसे ही हम भी देश के पीछे कुछ तो त्याग भाव रखें और अपनी जान बॉर्डर पर जाकर न भी दें तो भी अपने कुछ स्वार्थों का तो परित्याग करें ही।सर गर्व से ऊँचा हो जाता है जब टी.वी.चैनल पर और समाचार पत्रों में इन बहादुर सैनिकों के किस्से पढ़ने या देखने सुनने को मिलते हैं।अभी दो दिन पहले हमारे विंग कमांडर अभिनन्दन की बहादुरी की मिसाल हम सबने देखी सुनी।ये सैनिक भी और इनके परिवार वाले भी तो हमारी आपकी तरह ही इन्सान हैं,इन्हें भी तो अपनी जिंदगी और अपने परिवार वालों की जिंदगी उतनी ही प्यारी है जितनी हमें है फिर भी इनके अन्दर इतना त्याग कि बिना अपनी जान की परवाह करे ये लोग सिर्फ देश का सोचते हैं और हममे से ही बहुत से लोग किसी की जान के बदले भी अपना स्वार्थ पहले सोचते हैं।अभी पिछले दो दिनों में घटी घटनाओं में से ही एक मैं आपके साथ साझा करना चाहूंगी हालाँकि मुझे पता है कि इन सब बातों से ज़्यादातर लोग परिचित ही होंगे लेकिन एक बार इन बातों को ज़रा इस नज़र से भी देखने का हम लोग प्रयत्न करें।वह घटना है-

जब हमारा वीर अभिनन्दन दुश्मन देश और सेना पाकिस्तान के कब्ज़े में था फिर भी इतनी विपरीत परिस्थितियों में होते हुए भी उसके दिल में अपने देश के लिए ही पूरी तरह से वफ़ादारी थी।वहां जो पाकिस्तान के चश्मदीद लोग खड़े थे उन्होंने ही अपने टी.वी.चैनलों पर यह बोला है कि इस भारत के सैनिक ने गिरते ही अपनी जान पर बनी होने के बावजूद भारत माँ की जय के नारे लगाए और गोपनीय दस्तावेजों को निगलने की कोशिश की ताकि वे पाकिस्तान के हाथ न लगें।फिर जब उसे अपनी कस्टडी में लेकर पूछताछ की गई तो भी दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद उसने निडरता का परिचय ही दिया और औपचारिक बातों का जवाब देने के बाद और बातों का जवाब देने से इंकार कर दिया और अपने घर और शहर के बारे में भी नही बताया लेकिन ज़रा हमारे यहाँ की कुछ तथाकथित मीडिया को देखिये कि उन्होंने बिना देर किये अभिनन्दन और उसके पूरे घर वालों का बायो-डेटा अपने चैनल और सोशल-मीडिया में चला दिया बिना यह सोचे कि यह सब हमारे देश,हमारी सेना या हमारे उन वीर सिपाही और उनके परिवारों के लिए कितना खतरनाक भी हो सकता है।पर इन बातों से ऐसे लोगों को क्या लेना-देना?उनका तो स्वार्थ सिद्ध होता है ऐसी बातों से उनकी रोजी-रोटी चलती है,टी.वी.चैनल की टी.आर.पी.बढ़ती है।तो क्या हुआ देश खतरे में पड़ गया या किसी की जान पर बन आई?इसके साथ मैं एक बात कहूँगी कि कुछ मीडिया के लोगों ने ही अपनी ज़िम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाई और उतना ही बताया जितना सरकार ऑफिशियली बता रही थी।हम सबको अब अपनी निष्ठा,ज़िम्मेदारी अपना कर्तव्य निभाना होगा तभी हम एक ख़ुशहाल देश में रह सकेंगे।

त्वयामन्यो सरथमारूजन्तो

हर्षमाणा ह्रिषितासो मरुत्वन।

तिग्मेषव आयुधा संशिशाना

उप प्र यन्तु नरो अग्निरूपा:।।

(अथर्ववेद 4/31/1)

इस मन्त्र का भावार्थ यही है कि हमारे सैनिक बलशाली हों,शत्रुमर्दन की योग्यता रखते हों और सदैव प्रसन्न रहने वाले हों।उनके अस्त्र कुंठित न हों।राष्ट्र रक्षा में वे अपने हितों को होम देने को तत्पर रहें।

इन मन्त्रों से हमें यही ज्ञान लेना होगा कि सैनिक राष्ट्र की अस्मिता व गौरव के सजग प्रहरी होते हैं।वे ही बाहरी शत्रुओं से देश की रक्षा करते हुए आन्तरिक सुरक्षा एवं शांति का वातावरण निर्मित करते हैं।सैनिकों का असीम बलशाली होना तथा हर प्रकार के शत्रुओं का मानमर्दन कर सकने की अतुलित क्षमता से संपन्न होना अत्यंत आवश्यक है।परन्तु क्या यह सब कहने मात्र से ही संभव हो सकता है?देश में चारों ओर अराजकता फैली हो,लूट-मार,भ्रष्टाचार,चोरबाजारी,अनीति,दुराचार का तांडव हो रहा हो तो ऐसे में क्या यह संभव है कि सैनिक निष्ठापूर्वक,अनुशासित रहकर देश की रक्षा पूरे मनोयोग से कर सकें?इसका उत्तर अवश्य ही नहीं ही होगा।परन्तु यह सब संभव होगा।सैनिक अकेला नही होता उसके पीछे उसका परिवार,खेती,व्यापार आदि बहुत कुछ होता है।जब वह पूरी तरह से आश्वस्त होगा कि यह सब सुरक्षित रहेंगे,उनका मान-सम्मान रहेगा,देशवासी सुख-दुःख में उसके परिवार की  हर प्रकार से देख-भाल करेंगे तभी तो वह निश्चिन्त होकर देश की रक्षा हेतु अपने प्राण हथेली पर लेकर समरभूमि में कूद सकेगा।युद्ध-कौशल एवं सामरिक ज्ञान के साथ-साथ उसकी आन्तरिक प्रसन्नता ही उसके शस्त्रों की धार को पैना कर सकने में सक्षम होगी,उसके स्वाभिमान को जगा सकेगी।स्वाभिमान की प्रेरक शक्ति ही सैनिकों में देश-प्रेम एवं राष्ट्र-रक्षा की अग्नि प्रज्ज्वलित करने में समर्थ होती है,उनमे त्याग एवं बलिदान की भावना जागृत करती है।तभी वह पूरी निष्ठा से,लगन से,मनोबल से शत्रु सेना को गाजर-मूली के समान काट फेंकने का पुरुषार्थ कर सकने में समर्थ होता है।उसके तेज और पौरुष को देखकर शत्रु स्वयं ही हतोत्साहित हो जाता है।

पूरे समाज पर यह दायित्व है कि वह इन सब बातों को सुनिश्चित करें।चाणक्य जैसे प्रकांड,तेजस्वी और दूरदर्शी व्यक्ति ही समाज की शांति व सुरक्षा को अक्षुण्ण रख सकते हैं।आज की विषम परिस्थितियों में लोगों के विचारों को बदल कर उनकी समझदारी को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है तभी शस्त्रों और साधनों से सुसज्जित वीरों की अनुशासित टोली अतुलित शौर्य एवं अदम्य सहस का प्रदर्शन कर सकेगी,उनका उत्साह व कर्मनिष्ठा जागृत होगी तथा राष्ट्र ऐश्वर्यवान बनेगा।आज हम सभी लोगों को यह सब भली-भांति समझ लेना चाहिए और स्वार्थपरता का त्याग करके सच्चे इन्सान,सच्चे नागरिक का धर्म निभाना चाहिए।

आइये अब अपने उस वीर सैनिक अभिनन्दन का स्वागत करें जो अब से कुछ ही घंटों में अपनी मातृभूमि में होगा।

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