चंदापुर : तानसेन की विरासत और एक भूली-बिसरी संगीत परंपरा की कहानी
✍️ साहित्य और संस्कृति की धरती: चंदापुर लेखक परिचय छोटे राजा हर्षेन्द्र सिंह रियासत चंदापुर, रायबरेली। हर्षेन्द्र सिंह जी साहित्य, […]
✍️ साहित्य और संस्कृति की धरती: चंदापुर लेखक परिचय छोटे राजा हर्षेन्द्र सिंह रियासत चंदापुर, रायबरेली। हर्षेन्द्र सिंह जी साहित्य, […]
बीते दिनों की घटनाएं और वर्तमान की पीड़ा बीते कुछ दिनों में हमने बहुत कुछ देखा और अभी भी हालात
भारतीय संस्कृति पर गर्व: सम्मान और समर्पण भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना हमारा नागरिकता का प्रतीक है। यही
“स्वर्ण ज्योति जी का साहित्यिक दीपक सदैव प्रकाश फैलाता रहेगा….. – कमल किशोर राजपूत ‘कमल’ 16 अक्टूबर को लखनऊ से
विवाद का परिचय – हैदराबाद में 400 एकड़ में फैले कांचा गचीबावली जंगल को काट देने को लेकर बहुत विवाद
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: नारी अस्मिता की नई पहचान की ओर एक कदम महिला दिवस: एक दिन क्यों? सवाल जो चुभते
आप सभी डॉ. सत्या सिंह जी से भली भांति परिचित हैं। आपने जिन विषयों या जिन मुद्दों पर अपनी लेखनी
महाकुंभ: एक महापर्व, एक भावना — ‘चुभन’ के संग देशभर से जुड़े स्वर महाकुंभ एक महापर्व है, एक ऐसा पर्व,
प्रकृति और हमारी संवेदनाएं प्रकृति से हमें अनंत कल्पनाएं और असीम प्रेरणाएं मिलती हैं, परंतु आज के रोबोटिक युग में
आप सब जानते ही हैं कि ‘देवभूमि’ उत्तराखंड से टिहरी के विधायक माननीय किशोर उपाध्याय जी ने गंगा सहित सभी
हिमालय बचाओ-गंगा बचाओ अभियान एवं वनाधिकार आंदोलन के प्रणेता किशोर उपाध्याय जी की महाकुंभ यात्रा – विधायक किशोर उपाध्याय जी,
मैसूर: दक्षिण भारत का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रत्न मैसूर पैलेस: स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण कर्नाटक स्थित मैसूर दक्षिण
विराट अनुभूति एक ऐसी अवस्था है जहां हम स्वयं को विश्व के साथ जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह
भारत की धरती पर दो ऐसे स्थल हैं जो न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि धार्मिक,
समुद्र में प्लास्टिक खाने वाले बैक्टीरिया की खोज पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ये “प्लास्टिक-खाने वाले बैक्टीरिया”
भारतीय संस्कृति में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि का प्रतीक है। यह
– डॉ. नारदी जगदीश पारेख “आदिम संस्कृती का द्योतक,भारत मेरा देश है।आर्ष दृष्टा ऋषियों का पूजक,भारत मेरा देश है। वेद
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन: शिक्षक दिवस की प्रेरणा जन्म, परिवार और प्रारंभिक शिक्षा स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे
मानो या न मानो, विश्वास करो या न करो…..एक बार पढ़ो अवश्य – डॉ. बी.सी.गुप्ता मेरी बाल्यावस्था का
– डॉ. श्रीलता सुरेश अक्कामहादेवी (1120-1160 ई.) एक प्रमुख कर्नाटक भक्ति संत और कवयित्री थीं, जिन्हें भक्ति आंदोलन में
हमारे देश में प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के पावन अवसर को “संस्कृत दिवस” के रूप में मनाया जाता है। श्रावणी पूर्णिमा
हर इंसान कोई न कोई विशेषता या ख़ासियत लेकर ही जन्म लेता है, यह अलग बात है कि हममें
विपरीत परिस्थितियों को अपने हक में करने का हुनर विरले लोगों में होता है लेकिन जिनमें यह हुनर होता है,
आस्था और संस्कृति का संघर्ष: क्या खोती जा रही है भारतीयता – अजय “आवारा” राष्ट्र निर्माण की बुनियाद क्या
पूरी दुनिया जानती है कि 22 जनवरी 2024 को प्रभु राम, अयोध्या की पवित्र भूमि में उसी जगह विराजेंगे, जो
ð मंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह जी के साथ मेरे संवाद को इस वीडियो में सुनें। आज मैंने जायस, जो
सनातन परंपरा एक खुली हुई जीवन-व्यवस्था है, जो भी इसे अपने जीवन में आदर्श व्यवस्था के रूप में अपनाना चाहे,
चुभन के पाठकों को “हिंदी-दिवस” की हार्दिक शुभकामनाएं। हिंदी का वैश्विक महत्व और बढ़ता प्रभाव हिंदी हमारी राजभाषा है अतः