International Women’s Day special : part – 1
लीक से अलग सोचती एक आवाज़ : उर्मिला उर्मि
“किसी चराग़ से रोशन नहीं किया ख़ुद को,
हम अपना आफ़ताब साथ ले के चलते हैं।”
– उर्मिला उर्मि
आज से ‘चुभन’ पर अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s Day) के कार्यक्रमों का आरंभ हो रहा है, इस श्रृंखला में आज, जिन्हें हम ‘चुभन पॉडकास्ट’ पर आमंत्रित कर रहे हैं, वे हैं लोकप्रिय कवयित्री उर्मिला उर्मि जी और उनके लिए कहा जा सकता है कि स्वर के बिना गीत अधूरा है, और कर्तव्य बिन अधिकार। ख़ुशबू की पहचान फूल से है, तो महिला अधिकारों का मंथन तब तक अधूरा है, जब तक वह उर्मि जी द्वारा न किया गया हो। उर्मि जी के वक्तव्य वाद-विवाद को पूर्णता में समेट लेते हैं।
वे एक संवेदनशील कवयित्री हैं और लीक से थोड़ा अलग हटकर लिखती हैं।आपका कहना है कि मां, पत्नी, बहन की बातों को लेकर महिलाओं का बहुत शोषण हो चुका, अब कुछ और भी सोचना चाहिए।
आप “गुजरात पाठ्य पुस्तक मंडल” की पाठ्यक्रम- निर्माण समिति की सदस्या भी हैं, और विगत दस वर्षों से कक्षा 1 से 12 तक की पुस्तकों के लिए सामग्री चयन में सक्रिय योगदान दिया है।
आपका काव्य संग्रह ‘कुछ मासूम से पल ‘ प्रकाशित हो चुका है।
तो आज सूरत, गुजरात से उर्मिला उर्मि जी को सुनते हैं।
उर्मिला उर्मी जी को सुन कर महिला होने पर एक बार और गौरवान्वित हुए महिला पहले भी और आज भी सशक्त है समाज के तानेबाने में कभी कभी अपने को निर्बल कर लेती है सिर्फ अपने परिवार और अपने लोगों की गरिमा के लिए आपके विचार अच्छे लगे । भावना जी आपको ऐसे कार्यक्रम के लिए धन्यवाद एवम शुभकामना