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होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में अपार संभावनाएं

“कतरा था एक फिर भी समंदर लिखा गया ,
रहजन को इतिहास में रहबर लिखा गया,
एकलव्य का अंगूठा सुनो काट कर यहां,
अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर लिखा गया।”

कई बार ऐसा होता है कि किसी एक को आगे बढ़ाने के लिए हम दूसरे की जाने- अनजाने इतनी उपेक्षा कर जाते हैं कि या तो दूसरा बिल्कुल खत्म ही हो जाता है या फिर अपने हुनर, अपनी काबिलियत से वो उस मुकाम तक पहुंचता है कि उसकी कद्र न करने वालों को अपनी गलती का एहसास होता है।
कई बार घर में किसी एक संतान पर ही पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया जाता है और ये सोचा जाता है कि समय आने पर दूसरे के लिए भी ऐसे ही कुछ कर लिया जाएगा लेकिन दूसरे के लिए समय आ ही नही पाता और वो दूसरा बच्चा उपेक्षित सा होकर या तो जीवन मे कुछ नही कर पाता या फिर, सिर्फ अपनी योग्यता के बल पर उस मुकाम तक पहुंचता है, जहां तक शायद माता-पिता भी उसे न पहुंचा पाते।

ऐसा ही कुछ होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के साथ हुआ। एलोपैथिक को बढ़ावा देने के लिए होम्योपैथी और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति की उपेक्षा की गई और मैं ये बिल्कुल नही कहूंगी कि ऐसा जानबूझकर ही किया गया, इसीलिए मैंने अभी घर से बच्चों का उदाहरण दिया,क्योंकि कोई भी माता पिता अपने बच्चों में भेदभाव नही करेगा लेकिन घरों में भी कई बार प्रतिभा की कद्र समय पर नही होती।जिसका परिणाम उस बच्चे को जीवन भर भुगतना पड़ता है।ऐसे ही होम्योपैथी की कद्र भी नही हो सकी, जिसके द्वारा इलाज करके चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति आ सकती है, बस ज़रूरत है इसे समझने की….

इसीलिए आज हमने “चुभन” पर एक ऐसे होम्योपैथ चिकित्सक को आमंत्रित किया है, जिन्होंने 3 दशक से भी अधिक समय तक मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्य किया और अब भी वे न जाने कितने असाध्य रोगों से पीड़ित मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। आप हैं रायबरेली उत्तर प्रदेश से डॉक्टर रमेश श्रीवास्तव जी।
आपने होम्योपैथी चिकित्सा से ऐसी बीमारियों का इलाज किया और मरीजों को स्वस्थ किया, जिनके लिए एलोपैथिक चिकित्सकों ने भी एक तरह से हार मान ली थी। आपने ए प्लास्टिक एनीमिया के मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ किया, मैंने स्वयं उस मरीज से बात की, जिसने अपने जीवन को समाप्तप्राय ही समझ किया था लेकिन लगभग 2 साल इलाज करके आज वह पूरी तरह सामान्य जीवन बिता रहा है।

इसी प्रकार ब्रेन ट्यूमर, अस्थमा आदि असाध्य रोगों का निदान भी डॉ. रमेश श्रीवास्तव जी ने किया।
इसीलिए आज हमने ‘चुभन’ पर उन्हें आमंत्रित किया है। हमारा उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष के विषय मे ही बात करना न होकर, उस चिकित्सा पद्धति के बारे में आमजन को बताना है, जिसमें अपार संभावनाएं हैं।
डॉ. रमेश श्रीवास्तव जी से पूरी बात आप “चुभन पॉडकास्ट” पर सुनिए।

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