Blog कश्मीर के रंग

आधुनिक संस्कृत की पहचान : पद्मश्री वेदकुमारी घई जी

इस वर्ष 30 मई को पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध शिक्षाविद और संस्कृत की प्रोफेसर वेदकुमारी घई जी का देहावसान हो गया। आज ‘संस्कृत दिवस’ है।प्रत्येक वर्ष हम श्रावण पूर्णिमा के तीन दिन पूर्व और तीन दिन बाद संस्कृत सप्ताह मनाते हैं। आज के दिन यदि हम उनका स्मरण न करें तो यह दिवस अधूरा ही […]

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कला या चमत्कार

हमारी सोच को एक अनदेखे मुक़ाम तक ले जाने वाली, और कल्पना को साकार करने वाली कला ही होती है। ये यक़ीन दिलाती है कि हर चीज़ सीमा में बंधी नहीं होती। किसी भी कला में इतनी शक्ति होती है कि वह मानव-मन को रूहानियत में बदल देती है, क्योंकि कला का सीधा संबंध हृदय […]

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चांद ने चुरा लीं रोटियां

1. प्रभो! मेरा लिखा इस सृष्टि का श्रंगार बन जाए, दहकती नफरतों की आग में जलधार बन जाए, झुकाएं लेखनी के सामने खुद शीश तलवारें, जरूरत जब पड़े खुद लेखनी तलवार बन जाए। 2. रहेगी साँस जब तक मैं सदा बेबाक बोलूंगा, उजाले पर अँधेरे की चढ़ी हर पर्त खोलूंगा, भुला देगा समय निर्मम मुझे […]

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