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चुभन की बात : नव वर्ष का संदेश

"चुभन" परिवार के सभी सम्माननीय सदस्यों को नव वर्ष 2025 की हार्दिक शुभकामनाएँ! नया साल नई उमंग, नई ऊर्जा और नए अवसर लेकर आता है। हमें उम्मीद है कि यह साल आपके लिए बहुत ही शुभ और समृद्धि से भरा होगा। चुभन चैनल के माध्यम से हम आपको मनोरंजन, ज्ञान और प्रेरणा प्रदान करने का…

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मैसूर का दशहरा : एक अद्वितीय सांस्कृतिक उत्सव

कर्नाटक स्थित मैसूर दक्षिण भारत के ऐतिहासिक और अद्भुत पर्यटन स्थलों में गिना जाता है, कर्नाटक स्थित मैसूर दक्षिण भारत के ऐतिहासिक और अद्भुत पर्यटन स्थलों में गिना जाता है, जहां हर साल करोड़ों की तादाद में देश-विदेश से पर्यटकों का आगमन होता है। इस शहर का मुख्य आकर्षण यहां का मैसूर पैलेस है, जो…

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विराट अनुभूति : डॉक्टरी जीवन का पहला अध्याय

विराट अनुभूति एक ऐसी अवस्था है जहां हम स्वयं को विश्व के साथ जुड़ा हुआ महसूस करते हैं। यह एक ऐसी पवित्र और दिव्य अनुभूति है, जिसमें हम अपने छोटे-छोटे संकटों और चिंताओं को भूलकर जीवन की विशालता और सुंदरता को देखते हैं। सेवा और सहयोग से हम अपने आप को दूसरों के साथ जुड़ा…

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टूटता पिघलता हिमालय और सूखती गंगा

भारत की धरती पर दो ऐसे स्थल हैं जो न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखते हैं - गंगा नदी और हिमालय पर्वत। ये दोनों भारत की आत्मा और संस्कृति के स्तंभ हैं, जो सदियों से लोगों को आकर्षित करते हैं। गंगा नदी: गंगा नदी भारत…

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प्लास्टिक खाने वाले बैक्टीरिया : पर्यावरण संरक्षण का नया अवसर

समुद्र में प्लास्टिक खाने वाले बैक्टीरिया की खोज पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ये "प्लास्टिक-खाने वाले बैक्टीरिया" या "पॉलीमर-डिग्रेडिंग बैक्टीरिया" के रूप में जाने जाते हैं। ये बैक्टीरिया समुद्र, नदियों, और जलाशयों में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं, जिससे पर्यावरण संतुलन बेहतर होता है। इसके अलावा, यह पर्यावरण…

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पितृपक्ष 2024: पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि और आज के समाज के लिए इसका महत्व

भारतीय संस्कृति में पितृपक्ष एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हमारे पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो सामान्यतः सितंबर या अक्टूबर माह में पड़ता है। इस वर्ष यह पक्ष 18 सितंबर 2024 से आरंभ होकर 2 अक्टूबर 2024 तक…

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भारतीय त्योहारों और ऋषियों की परंपरा का वैज्ञानिक आधार

- डॉ. नारदी जगदीश पारेख "आदिम संस्कृती का द्योतक, भारत मेरा देश है। आर्ष दृष्टा ऋषियों का पूजक, भारत मेरा देश है। वेद पुराणों का सर्जक, भारत मेरा देश है। सारे विश्व का पथ प्रदर्शक भारत मेरा देश है।" ऋषियों की दीर्घ दृष्टि और भारतीय संस्कृति हमारे दीर्घ दृष्टा ऋषियों ने पुस्तक पढ़कर नहीं परंतु प्रकृति…

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शिक्षक दिवस : ज्ञान और प्रेरणा का उत्सव

-डॉ. श्रीलता सुरेश स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी थे। स्वतंत्रता के बाद देश को आधुनिक शिक्षा की दिशा में आगे ले जाने में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर शिक्षक के रूप में की थी। एक अध्यापक होने के…

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ठाकुर जी के प्रति समर्पण: एक साधारण जीवन की असाधारण यात्रा

मानो या न मानो, विश्वास करो या न करो.....एक बार पढ़ो अवश्य - डॉ. बी.सी.गुप्ता कैप्टन (डॉ.) बी. सी. गुप्ता वर्ष 1930.... मेरा जन्म भारत में अंगरेज़ों का राज्य। * नॉर्थ प्रॉविंसेज़ आगरा एंड अवध....यानी आज़ाद भारत का U.P. या उत्तर प्रदेश। उ०प्र० का छोटा सा एक कस्बा। * कस्बे का एक साधारण परिवार। परिवार का एक…

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अक्कामहादेवी : नारी स्वातंत्र्य और भक्ति की प्रतीक

- डॉ. श्रीलता सुरेश अक्कामहादेवी (1120-1160 ई.) एक प्रमुख कर्नाटक भक्ति संत और कवयित्री थीं, जिन्हें भक्ति आंदोलन में विशेष स्थान प्राप्त है। वे वीरशैव (लिंगायत) संप्रदाय की महत्वपूर्ण नेत्री और कवयित्री थीं। उनकी कविताएँ और भजन उनके गहरे आध्यात्मिक अनुभव और ईश्वर के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाते हैं। जीवन की प्रमुख घटनाएँ जन्म…

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