Blog

महाकुंभ: एक महापर्व की महिमा

महाकुंभ एक महापर्व है, एक ऐसा पर्व, जिसमें देश, दुनिया, दूर पास कुछ रहा ही नही। हर व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, किसी न किसी रूप से इस महापर्व का हिस्सा बना ही।

हमने भी “चुभन” से इस महापर्व पर कुछ कार्यक्रम प्रस्तुत किये। आज सुदूर दक्षिण के प्रदेश कर्नाटक से डॉ. श्रीलता सुरेश जी हमारे साथ होंगी, जिनसे आप सब परिचित ही हैं और उत्तर प्रदेश से अलका श्रीवास्तव जी हमारे साथ होंगी। आप दोनों से ही हमें महाकुंभ के बारे में कुछ रोचक जानकारी सुनने को मिलेगी।

महाकुंभ प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है और इसे हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस महोत्सव में लाखों-करोड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि कुंभ स्नान से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना, यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।

 महाकुंभ 2025 –

इस वर्ष भी महाकुंभ 13 जनवरी 2025 को पौष पूर्णिमा से आरम्भ हुआ और प्रयागराज के संगम तट पर इसका भव्य मेला लगा हुआ है, जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु आए और आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। कल महाशिवरात्रि का स्नान है। इस आयोजन को लेकर भक्तों में गहरी आस्था और उत्साह देखने को मिल रहा है।

कुम्भ चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र-मंथन और अमृत कलश की प्राप्ति की कहानी ही इस महापर्व को मनाने का कारण बनी। यह घटना ‘देवासुर संग्राम’ (देवताओ और असुरों के बीच युध्द ) से जुड़ी हुई है। इस युद्ध मे देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, जिसमें अमृत की प्राप्ति हुई। परंतु अमृत कलश को लेकर देवता और असुरों के बीच लड़ाई होने लगी। जिससे अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिर गईं। यह चार स्थान हैं -.

1.प्रयागराज (इलाहाबाद) –

यहां गंगा, जमुना और सरस्वती नदियों का संगम है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। यह पवित्र स्थल कुम्भ के सबसे प्रमुख स्थानों में से एक है। संगम स्थल पर गंगा और यमुना की धार को अलग अलग देखा जा सकता है। सरस्वती जी विलुप्त हो चुकी हैं।

2.हरिद्वार –

उत्तराखंड का प्रमुख शहर हरिद्वार भी अपना प्रमुख स्थान रखता है।यहां गंगा नदी बहती है, और यह स्थल विशेष रूप से पवित्र माना जाता है।

3.उज्जैन –

मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर भी एक बहुत ही पवित्र और आध्यात्मिक शहर है। यहां “महाकालेश्वर मंदिर” है और यह स्थान भगवान शिव के साथ जुड़ा है। आज जबकि “शिवरात्रि” का पावन पर्व भी है तो उज्जैन महाकालेश्वर के दरबार की शोभा देखते ही बनती है।

4.नासिक –

यहां गोदावरी नदी बहती है। नासिक भी अत्यंत पवित्र नगरी मानी जाती है और इसके भी धार्मिक आध्यात्मिक महत्व है।

महाकुंभ का आयोजन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही लेकिन इसके अन्य भी कई पहलू हैं। यह आयोजन हर व्यक्ति के लिए आत्मिक उन्नति का होता है। महाकुंभ का इतिहास प्राचीन भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं से भी जुड़ा है।

प्रत्येक 12 वर्षों में कुम्भ मेला आयोजित किया जाता है क्योंकि यह एक खगोलीय और धर्म से जुड़ी घटना है, इसलिए पुण्य प्राप्ति के लिए पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है।

महाकुंभ में न सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी लोग आए और आ रहे हैं। पर्यटन उद्योग को बहुत बढ़ावा मिला। न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था में प्रगति हुई वरन इस भव्य आयोजन ने भविष्य के लिए भी पर्यटन उद्योग को आकर्षित किया।

आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर देखते हैं कि कितने श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। एक इतना भव्य महाआयोजन जिसे हमारी उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुत ही निष्ठा, समन्वय और अनुशासित तरीके से निभाया और करोड़ों लोगों की आस्था का सम्मान भी किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top