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आज फिर तुम कहो इक नई दास्तान….

तेरहवीं सदी में कहानी कहने की एक कला के रूप में जिस विधा का सबसे अधिक प्रसार हुआ, वह थी ‘दास्तानगोई’।वैसे तो यह कला फारस से आई परन्तु भारत में भी इस कला के मुरीद सदियों से रहे हैं और हमारे देश में मुग़ल बादशाहों के शासनकाल में दास्तानगोई की परम्परा का आरम्भ हुआ।आज के […]

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