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कट्टरपंथ बनाम धर्मनिरपेक्षता

पिछले पांच-छःदिन से लखनऊ काफी साहित्यिक और कलात्मक समारोहों के कारण चहल पहल से भरा रहा।कहीं पुस्तक मेला और कहीं सनतकदा फेस्टिवल….खैर ऐसे समारोह कला,सहित्य-संगीत की दृष्टि से बहुत उपयोगी,कलाकारों को सम्मान और उनको उचित स्थान देने वाले होते हैं इसमें तो कोई शक नहीं है लेकिन कभी कभी हम साहित्य संगीत या कला की […]

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