– मेजर जनरल ए.के. शोरी जी के शब्द
वैश्विक महामारी कोरोना हमारे जीवन में अचानक ही नहीं आ गयी।वास्तव में,प्रकृति काफी लंबे समय से हमें संकेत दे रही थी परंतु हम उसकी अनदेखी करने में लगे थे।स्वाइन फ्लू,डेंगू जैसी बीमारियां खतरे की घंटी बजा रहीं थीं,तो वही भूकंप, बाढ़ और तूफान आदि हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे।यह सब पिछले कई दशकों से हो रहा था।मनुष्य पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ कर रहा था,पारिस्थितिक संतुलन को चोट पहुंचा रहा था,प्रकृति के नियमों के साथ खिलवाड़ कर रहा था,तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी जी रहा था जो भौतिकतावादी और उद्देश्यहीन थी।कोई भी चीज़ धन दौलत से खरीदी तो जा सकती है लेकिन विचार प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकती।तड़क भड़क भरी जीवन शैली मात्र दिखावा है।
अचानक कोरोना आता है और हमें ठहरने पर मजबूर कर देता है और हम अपनी जीवन शैली और विलासिता पूर्ण जीवन को फिर से परिभाषित करने की कोशिश करते हैं।आज की भागमभाग भरी,महत्वाकांक्षी और शानदार जीवन शैली पर यह एक प्रश्न चिन्ह लगाता है और मनुष्य को पुनर्विचार करने की प्रेरणा देता है।लोग इस महामारी के आने से हैरान परेशान और भयभीत थे और उन्होंने तुरंत अपनी गलती स्वीकार की।इसके परिणाम स्वरूप प्रदूषण कम हुआ,आसमान साफ हुआ और जीवन सुगम हुआ तथा आवश्यकताओं की परिभाषा ही बदल गयी।लोग वास्तव में शिष्टता पूर्ण आचरण करने लगे और उससे उनके जीवन मे एक सुकून आ गया।घर से बाहर न जा पाने के परिणामस्वरूप उनका समय परिवार में ज़्यादा बीता जिससे उन्हें स्नेह,प्यार और एक दूसरे के बारे में सोचने के महत्व का एहसास हुआ।
जैसे जैसे समय व्यतीत हुआ,जीवन फिर से सामान्य होने लगा और पुरानी आदतें फिर से हमारा पीछा करने लगीं और आज हम वहीं हैं, जहां हम थे।वैक्सीन की ख़बर ने मृतप्राय व्यक्तियों को दोबारा शक्ति दी है या कह लें नवजीवन दिया है।हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में अव्यवस्था एक बार फिर प्रबल होने लगी।मनुष्य के जीवन का उद्देश्य भौतिकतावादी आवश्यकताओं की पूर्ति में कहीं खो सा गया।सभ्य आचरण एवं व्यवहार, सामाजिक उत्तरदायित्व तथा कर्तव्य शो पीस बनकर रह गए।
प्रश्न यह उठता है कि फिर हमें क्या करना चाहिए?क्यों न हम कुछ क्षण रुकें और अपने भीतर झांके।हम अपनी इच्छाओं और अवश्यकताओं का क्यों न पुनरावलोकन करें?अपने जीवन के लिए हम मानसिक तौर पर क्यों न स्पष्ट और सजग हों?कौन हमें रोकता है?तथाकथित संकल्प सिर्फ दूसरों को प्रभावित करने के लिए हैं।फिर 2021 में हमें क्या करना चाहिए?हमें स्वयं को कैसे पुनः परिभाषित करना चाहिए? अपने मस्तिष्क से इस मकड़जाल को हम कैसे दूर करें?
इन सभी प्रश्नों के हल मैं नव वर्ष के दिन पॉडकास्ट के कार्यक्रम में आपके साथ बैठकर ढूंढने का प्रयत्न करूंगा क्योंकि मैं सिर्फ समस्याओं के ऊपर चर्चा करने में ही नही विश्वास रखता,वरन उनके समाधान खोजने का यत्न हमेशा करता रहता हूं।
10 Comments
Kamendra Devra
सर मुझे आपके विचारों से इतनी प्रेरणा मिली है कि मैंने भी आज से समय -प्रबन्धन पर ध्यान देना आरम्भ कर दिया है। धन्यवाद।
Sugriv kumar
नव वर्ष पर बहुत ही अनुकरणीय बात सर ने कही है। स्वयं को बदल कर ही हम विश्व को बदल सकते हैं। साधुवाद।
Dr Alaka Roy Associate professor( Zoology) Haridwarwar
First of all a very happy new year to all . It’s our great pleasure to listen General Shori on this podcast . Dr. Bhaawana u really make our new year a challenging year with passion and a good management. General Shori gave us a very comfortable tips and motivation to lead life in positive manner .No doubt the way he told his experiences is the need of every life in every manner. If someone follow all these minute things no one can challenge his victory . Again happy new year to all of you and keep ahead .all the best wishes
Ajay Yadav
यह सही है, कि प्रकृति हमसे संवाद करती है।
परन्तु, हम भी, या तो उसे समझ नहीं पाते, या फिर, शायद हम इसे अनसुना ही कर देते हैं। जिसका परिणाम, आज एक भयावह महामारी के रूप में एवं अन्य जटिल समस्याओं के रूप में हमारे सामने है। महामारी के लिए तो हम सचेत हो गए। पर क्या, वो अन्य समस्याएं, जो प्रकृति ने हमें इंकित की हैं, उनके लिए भी हम सचेत हो पाएंगे?
मैं आदरणीय शौरी जी का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि उन्होंने इतनी सरलता से, हमें इसका भान कराया।
ऐसे व्यक्ति जो विरले ही मिलते हैं, जो ईश्वर के इस वार्तालाप को समझने की प्रतिभा रखते हैं। आदरणीय शौरी जी, ऐसे ही एक व्यक्तित्व हैं। मैं इस प्रतिभा को नमन किए बिना नहीं रह सकता।
मेरे लिए यह सौभाग्य का विषय है कि, मुझे इतने प्रबुद्ध एवं सटीक विश्लेषण से दो-चार होने का अवसर प्राप्त हुआ।
Rohit Kumar (Delhi)
Excellent sir.I’m impressed with your thoughts.
Anirudh kamboj Meerut
बहुत सार्थक वक्तव्य जनरल साहेब जी बिल्कुल अनुशासन और समय के सदुपयोग के द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।
Shiv Pratap
आपका लेख जीवन को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । एक प्रेरणादायक और अनुकरणीय विचार हमारे समक्ष प्रस्तुत करने के लिए आपका धन्यवाद ।
Kiran
बहुत ही सार्थक और अनुकरणीय विचार
Vipin shrivastava
बहुत अच्छा और प्रेरित करने वाला लेख है, आपका अभिनंदन 🙏
Chubhan Today
आपका आभार विपिन जी