कोरोना का शोर आजकल हर तरफ मचा हुआ है और इस वायरस की चपेट में आकर पूरे विश्व में हजारों लोग अपनी जान गँवा चुके हैं।विशेषकर चीन,ईरान और यूरोपीय देशों में तो इसका कहर टूटा ही है।अब धीरे-धीरे पैर फैलाते भारत में भी इसका असर दिखने लगा है और कहीं यह महामारी का रूप न ले ले इसी चिंता में आम जन से लेकर पूरा प्रशासन भी लगा हुआ है।
हमारे देश में अभी इसकी दूसरी स्टेज है।मैं सरल शब्दों में कहूँ तो प्रथम स्टेज तो वह है जिसमें विदेश से आये व्यक्तियों तक इस वायरस का असर रहा और दूसरी स्टेज वह है जिसमें विदेशों से आये इन लोगों के संपर्क में जो भी आया जिनमें इनके रिश्तेदार या जिनसे भी यह लोग मिले उन्हें इस वायरस का संक्रमण हुआ और इसी स्टेज में आज हमारा देश है।तीसरी स्टेज वह होती है जिसमें इन लोगों के संपर्क में आकर बहुत से लोगों में इस वायरस का संक्रमण हो जाता है जिसे समुदाय (community) में फैलना कहते हैं और चतुर्थ स्टेज वह है जिसमें यह वायरस महामारी का रूप ले लेता है और जैसा कि हमने कई देशों में अभी देखा है और देख रहे हैं।तीसरी और चौथी स्टेज न आये इससे बचने के लिए ही सरकारी स्तर पर इतना कुछ किया जा रहा है।
भगवान का हमें शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि हमारे देश में मात्र 139 लोग ही अभी तक संक्रमित पाए गये हैं।दुर्भाग्यवश 3 लोग इनमें से बच नहीं सके।वैसे हमारे देश के चिकित्सक पूरे जोर-शोर से इसके इलाज में लगे हुए हैं।सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर से कई मरीज ठीक होकर भी निकले और भी देश के कई अस्पतालों में स्वाइन फ्लू,मलेरिया और एड्स जैसी बिमारियों में प्रयोग होने वाली दवाओं के द्वारा इन मरीजों को एकदम अलग (आइसोलेटेड वार्ड) में रखकर सफल प्रयोग किये जा रहे हैं।हमारे प्रशासन का ध्यान भी बस इसी तरफ है कि कहीं यह संक्रमण समुदायों में न फ़ैल जाए इसके लिए सभी स्कूल,कॉलेज बंद कर दिए गये हैं।हमारे उत्तर प्रदेश में भी संक्रमित मरीजों के मिलने के कारण बहुत ध्यान दिया जा रहा है।सभी शिक्षण संस्थाएं,मॉल और सिनेमा हाल भी बंद किये गये हैं।इन सब बातों से ऐसा महसूस होने लगा है जैसे हम किसी बड़े हादसे का शिकार हो गये हैं या होने जा रहे हैं लेकिन हम सबको इस बात को ध्यान रखना होगा कि हमें किसी तरह के पैनिक या आकस्मिक भय की अवस्था में आने से स्वयं को भी बचाना है और यदि हम पढ़े लिखे ज़िम्मेदार नागरिक हैं और जो युवा हैं उन्हें इतना कर्तव्य पालन ज़रूर करना चाहिए कि जो अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं उन्हें इस बीमारी से बचने के उपायों के प्रति जागरूक करें जैसे हाथ धोना या साफ सफाई,खांसते और छींकते समय मुंह को ढंकना वह भी हाथ से नहीं बल्कि कोहनी से इन बातों को जितना हो सके घर बैठे भी आपके संपर्क में जो भी आये उसे समझाएं।एक दूसरे से संपर्क में आने पर कम से कम एक मीटर की दूरी ज़रूर रखें।मैं देख रही हूँ कि अच्छे खासे पढ़े लिखे लोग भी कह रहे हैं कि अरे इतना भी कुछ नहीं है जब हम किसी विदेशी के संपर्क में आये ही नहीं तो हमें क्या खतरा?लेकिन ऐसे लोगों को यह बात समझनी होगी कि बेशक आप किसी विदेश से लौटे व्यक्ति के संपर्क में नहीं आये लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि जिस पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे टैक्सी,मेट्रो या बस,ट्रेन जिनमे आपने यात्रा की उसमे कोई इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति बैठा हो।इसलिए सबसे अच्छा यह है कि घर में जैसे ही अन्दर जाएँ पहले अच्छी तरह 30-40 सेकंड अपने हाथों को साबुन से साफ करें।क्योंकि जैसा कि आम तौर पर होता है कि जितने मुंह उतनी बातें।तो इस स्थिति को न आने दें क्योंकि हममें से कोई भी इसका विशेषज्ञ नहीं है और जैसा कि बड़े-बड़े डाक्टर जिन्होंने इस विषय पर अब तक बहुत जानकारी हासिल की है उनकी बातों का अमल करें।व्यर्थ में भ्रांतियों को फ़ैलाने का कोई फायदा नहीं है।
हमें इस बात का गर्व होना चाहिए कि हमें ईश्वर ने उस देश में जन्म दिया जहाँ हर बात में पहले मानवता को ध्यान में रखा जाता है।आप सभी टेलीविजन के माध्यम से देख ही रहे होंगे कि कैसे मीडिया वाले हमारे रिपोर्टर अपनी जान जोखिम में डालकर भी हमारे लिए सारी सूचनाएं इकठ्ठा कर रहे हैं जिससे हमें इस बीमारी से लड़ने में काफी मदद मिल रही है।विभिन्न टेलीविजन चैनलों में कई विशेषज्ञ जो पी.जी.आई.,एम्स और विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में सीनियर डाक्टर हैं उनके सुझाव और विचारों से हमें घंटों तक अवगत कराया जाता है।हम इन मीडियाकर्मियों और चिकित्सकों के प्रति जितना भी अपना धन्यवाद दें कम ही होगा।हाथ धोने,छींकने खांसने पर अपनी कोहनी से मुंह ढंकने या टिशू पेपर यदि इस्तेमाल किया है तो उसे कैसे नष्ट करना है इन सब बातों से हमें टेलीविजन में आये इन विशेषज्ञों ने ही इतना पहले से जानकारी दे दी कि इस बीमारी के फैलने से बहुत बचाव हुआ।आप देखिये तो बात समझ आएगी कि कितने देशों में मानवीयता को ताक पर रखकर इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के साथ कैसा क्रूर और पशुवत आचरण किया जा रहा है।आज शाम को मैं किसी टेलीविजन चैनल पर देख रही थी कि पाकिस्तान में ऐसे मरीजों को जानवरों की तरह टैंटों में रखा जा रहा है।कई लोग रो रहे थे कि पता नहीं कोरोना से हम मरेंगे या नहीं लेकिन भूख से ज़रूर मर जाएँगे।चीन आदि देशों में इस बीमारी से संक्रमित व्यक्तियों के साथ कैसा व्यवहार हुआ यह सब आप लोग भी विभिन्न मीडिया चैनलों में देख ही रहे होंगे।W.H.O. ने भी हमारे देश के प्रयासों की सराहना की है।जिन प्रदेशों में भी इस वायरस से संक्रमित मरीज पाए जा रहे है वहां सभी स्कूल,कॉलेज,मॉल सिनेमा हाल आदि बंद किये जा रहे हैं।हमारे उत्तर प्रदेश में भी सभी स्कूल कॉलेज आदि बंद कर दिए गये हैं,परीक्षाएं स्थगित कर दी गयी हैं।कहा जा सकता है कि प्रशासन ने इससे बचाव के किसी भी रास्ते को अपनाने में देरी नहीं की है।आज सुबह ऐसे ही मुझे थोड़ा गुस्सा आ रहा था कि प्रशासन कुछ कर नहीं पा रहा।क्यों नहीं ऐसे लक्षणों से पीड़ित मरीजों को घर से आकर ले जाया जा रहा?लेकिन आज शाम से मुझे इस बात का एहसास हुआ कि जहाँ इतनी जनसँख्या है और मामूली जुकाम बुखार से तो आज बहुत से लोग पीड़ित हैं ऐसे में अस्पतालों तक जाने की जागरूकता तो सबमें जगानी होगी।हम लोग किसी मामूली से काम के लिए भी दूर-दूर तक घूम आते हैं तो फिर इतनी अपनी ज़िम्मेदारी हम सभी समझें कि किसी तरह का लक्षण उभरते ही पास के सरकारी अस्पताल में ज़रूर जाएँ।जो लोग जाने में किसी भी तरह असमर्थ हों उनकी सहायता को आज हर युवा को आगे आना होगा।सिर्फ सरकार और प्रशासन की ज़िम्मेदारी ही नहीं है बल्कि हमें भी अपना सहयोग देना होगा।
आज शाम को मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय आदित्यनाथ योगी जी का ट्वीट पढ़ रही थी जिसे पढ़कर गर्व हुआ कि हम ऐसे प्रदेश के वासी हैं जहाँ इतना संवेदनशील मुख्यमंत्री है।पहले उनका ट्वीट देखें-
“कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव के चलते दिहाड़ी मजदूर भाई-बहनों को परिवार के भरण-पोषण में समस्या न हो,इस हेतु प्रदेश सरकार ने एक तय धनराशि मजदूर भाई-बहनों के बैंक खाते में प्रदान करने का निर्णय लिया है।इस सम्बन्ध में वित्तमंत्री की अध्यक्षता में गठित समिति 3 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।”
सत्ता के नशे में तो लोग अपनों को भूल जाते हैं तो फिर गरीब मजदूरों की इतनी सोचने वाले मुख्यमंत्री जी का भी आभार।
अंत में बस मैं एक ही बात कहूँगी कि इस संकट की घड़ी में हम सभी को अपना कर्तव्य पालन करना चाहिए।कुछ और नहीं तो इतना ही करिए कि आप इस बीमारी को फ़ैलाने का कारण न बनिए।जितना हो सके बाहर निकलने से बचें।बच्चों को हाथ धोने और सफाई का ध्यान रखने के लिए कहें।हमें अवसाद (डिप्रेशन) में आने से स्वयं को बचाना है।जिन लोगों को भी बहुत दिन बाद घर बैठने का अवसर मिला है वे इसका सकारात्मक प्रयोग करें।निराशा की स्थिति में न स्वयं आएं न आस-पास के लोगों को आने दें।भारत के प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक विट्ठलदास मोदी जिन्होंने गोरखपुर में आरोग्य मंदिर की स्थापना की और उसके साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा पर हिंदी और अंग्रेजी में अनेकों पुस्तकों की रचना की,उनके आरोग्य मंदिर में रहने का अवसर मुझे जब मैं बहुत छोटी थी तब मिला क्योंकि मेरे पिता को श्वांस रोग होने पर उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा ही इसे ठीक किया और हम लगभग एक महीने से भी ज्यादा वहां रहे।वे मेरे पिता को अपने पुत्र की तरह मानने लगे थे तथा काफी देर तक आकर हमारे पास बैठते थे और अच्छी-अच्छी बातें करके हम सबके मनोबल को बढ़ाते थे।विट्ठलदास मोदी जी ने किसी बीमारी के बारे में बहुत वहम करने या ऐसा सोचने कि “मुझे तो यह बड़ी बीमारी हो गयी है” के बारे में एक बहुत अच्छा उदाहरण दिया।उनका कहना था कि एक माँ थी जिसे हमेशा अपने बच्चे की इतनी चिंता रहती थी कि उस चिंता में उसे हर समय यह वहम रहता था कि उसके बच्चे को कोई बड़ी बीमारी न हो जाए।जरा सा खांसी आने पर भी उसे ऐसा लगता था कि उस बच्चे को तपेदिक (टी.बी.) हो गया है।इसी सोच में रहते रहते उस बच्चे को जो कि एकदम स्वस्थ था धीरे-धीरे सच में टी.बी. हो गया।यह कोई कहानी नहीं है मोदी जी कहते थे कि यह मेरी आँखों देखी घटना है।क्योंकि इसका कारण यह हो सकता है कि उस माँ ने चिंता में रहते-रहते उस बच्चे के खान-पान और पालन-पोषण पर भी ध्यान देना कम कर दिया हो जिससे कुपोषित होकर वह बच्चा इतनी बड़ी बीमारी से ग्रसित हो गया।इसी तरह आज हम सबको अपनी रोग प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) को बढ़ाना है ताकि इस वायरस का डटकर मुकाबला कर सकें और इसके लिए सकारात्मक सोच के साथ अपने खानपान का ध्यान रखते हुए समय बिताना है न कि इस बीमारी के डर से अपने काम-काज और कर्तव्य पालन ही छोड़ दें।
3 Comments
Hemendra kumar
Very nice information
Kiran
Excellent nd knowledgebull post
Bharti Mishra
ज्ञानवर्धक लेख