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वाल्मीकि रामायण और भारतीय संविधान

जैसा कि हम लोग जानते ही हैं कि आजकल चुभन पर मेजर जनरल अमिल कुमार शोरी जी वाल्मीकि रामायण के उन अदृश्य दृश्यों से हमें परिचित करवा रहे हैं, जिनसे हम सब अभी तक अंजान ही थे या ऐसी बहुत सी बातें रहीं होंगी जो हमारे सामने तो आई होंगी पर हमने ध्यान ही नही दिया होगा।
इसी कड़ी में आज जनरल साहब हमें वाल्मीकि रामायण और भारतीय संविधान पर कुछ बातें बताएंगे।
आपके अनुसार यह विषय प्रासंगिक भी है और हमने अपनी व्यवस्था में इसे ठीक से स्वीकार भी नही किया है और अगर इसकी कुछ बातों को हमने लिया होता तो हमारी राजनीतिक व्यवस्था में शायद इतनी कमियां भी न होतीं।
भारतीय संविधान को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का धर्मग्रंथ कह सकते हैं।हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और इसकी बहुत सारी बातों को हमने विश्व के अन्य संविधानों से लिया है।
आपने बहुत ही सही कहा कि हमारी स्वतंत्रता और संविधान लागू होने के पहले के समय पर जाएं तो लगभग14-1500 साल का समय या तो आक्रमणकारियों के आक्रमण का रहा या विदेशी शासकों का।ऐसे में हमारे अपने भारत देश की संस्कृति और उसकी विशेषताएं तो जैसे लुप्त ही हो गई थीं।
महात्मा गांधी ने भी कहा था कि मैं सपना देखता हूं कि हमारे देश मे रामराज्य हो।हम रामराज्य की बातें तो करते हैं लेकिन रामराज्य या सुशासन की जो खास बातें हैं और जिनका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है, क्या उनका अनुसरण करने की हमने कोशिश की? यही बात शोरी जी ने अपने संवाद में कहने की कोशिश की है।
मैंने शोरी जी के बारे में बताते हुए पहले भी लिखा है कि आपकी बातें इतनी व्यावहारिक होती हैं कि उनका असर होता है, क्योंकि वह कोरे उपदेश ही नहीं होते।जैसा कि अपनी बातचीत में आपने ज़िक्र भी किया कि सुशासन के संदर्भ में जब आप इन बातों को कहते हैं तो लोगों की पहली प्रतिक्रिया यह होती है कि “हां बातें तो ठीक हैं पर किताबी हैं और इनको लागू कर पाना बहुत मुश्किल है।”
इस पर शोरी जी ने यही बताने का प्रयास किया है कि इन बातों को कैसे हम अमल में लाकर रामराज्य की परिकल्पना को साकार रूप दे सकते हैं।इसी परिप्रेक्ष्य में आपने एक प्रसंग की चर्चा की।यह प्रसंग वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड का है जब भरत श्री राम को मनाने के लिए जंगल मे जाते हैं तो श्री राम अपने अनुज भरत से बातचीत करते हैं और इसी बातचीत में वे भरत को सुशासन के सिद्धांत सिखा देते हैं क्योंकि प्रभु राम को पता है कि अब भरत ही चौदह वर्षों तक राजकाज संभालेंगे।शोरी जी के विचार से श्री राम ने भरत से जो सवाल किए और उन्हें शिक्षा दी ,उन्हें सुशासन के सिद्धांत के तौर पर देखा जाना चाहिए,जो आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं।इसी प्रकार न्याय व्यवस्था, अर्थ व्यवस्था आदि हर क्षेत्र के विषय मे श्री राम ने भरत को संदेश दिया।
जनरल शोरी जी इस प्रश्न को उठाते हैं कि हमारा जो संविधान बना वह भारत की प्राचीन संस्कृति पर तो बना ही नहीं।हमारे शास्त्रों ,पुराणों में ऐसा छुपा हुआ ज्ञान है जिनपर विदेशियों ने आकर रिसर्च की और उन बातों को अपने यहां लागू भी किया लेकिन हम उन बातों को अपनाते हुए झिझकते हैं।हम इन शास्त्रों पुराणों की बातों को आज के हालातों के अनुसार स्वीकार कर सकते हैं, जिससे सुशासन की स्थापना हो सकती है।शोरी जी ने हमेशा विचारों, शिक्षा और संस्कारों पर बल दिया है।
आपके द्वारा दिये गए पूरे संवाद को आप चुभन के पॉडकास्ट पर सुन सकते हैं।

1 Comment

  • Kiransingh AGA
    Posted March 15, 2021 at 1:51 pm

    ज्ञान वर्धक पोस्ट 👏👏

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