गुजरता वक्त, कुछ अनुभव देकर जाता है, तो कुछ संकेत भी दे देता है। वहीं, आने वाला वक्त, अपने अंदर दफ्न कई राज़ लिए आता है। कल में कुछ संकेत छुपे होते हैं, कल के लिए। उस राज़ को समझने की, और उसके साथ चलने की क्षमता, हमें कल का अनुभव ही देता है। यूं लगता है कि गया वक्त, और आने वाला वक्त, एक दूसरे से अनजान तो हैं, फिर भी, उनकी कड़ी जुड़ी हुई होती है। तो आइए, पहचानते हैं इस कड़ी को। कुछ सीखते हैं 2021 से, और स्वागत करते हैं 2022 का। ऐसी शख्सियतों के साथ, जो समय के भाव को भी, निचोड़ कर रख दें। चलिए, समझते हैं, बीते कल को और जानने की कोशिश करते हैं, आने वाले कल को।
इस अवसर पर मैं अपने सभी पाठकों और श्रोताओं को हृदय से धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने हमारे कार्यक्रमों को इतना पसंद किया और हमें अपने सुझाव देकर प्रेरणा दी कि हम और अच्छे कार्यक्रम ला सकें।नव वर्ष की आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।आप स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करें।साथ ही हमारे उन अपनों को भी ईश्वर शांति और सब्र दें, जिन्होंने किसी बहुत ही अपने को इस बीते वर्ष में खो दिया है।जो भी हमें छोड़कर ईश्वर के श्री चरणों मे चले गए हैं, उनकी आत्मा को सुकून मिले और उनके अपने भी अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए इस लौकिक दुनिया मे अपने कर्तव्यों को निभाते रहें।
आज हमारे “चुभन” के पटल पर हमने जिन्हें आमंत्रित किया है, वे है बंगलूरू से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. स्वर्ण ज्योति जी और जनार्दन पांडे प्रचंड जी।आप दोनों के साथ अजय “आवारा” जी का संवाद अवश्य सुनें।
क्या खोया क्या पाया कार्यक्रम रोचक रहा। नए साल की शुभकामनाएं। कल की गलतियों से सीख कर और कल के सुंदर भविष्य के साथ आगे बढ़ना आज का जीवन धर्म है। बधाईयाँ चुभन 🙏😊🌹