- अजय "आवारा"
देश, एक सीमा में बंधा भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं है। न ही देश कुछ लोगों का समूह मात्र है और न ही देश एक शासन व्यवस्था का नाम है। देश, एक संस्कृति है, वहां रहने वाले लोगों की सांस्कृतिक पहचान है।
देश, यूं ही नहीं…
- अजय "आवारा"
आज, धर्म के नाम पर चर्चा करना, धर्म के नाम पर अधिकार मांगना, धर्म की आड़ में मानवता की बात करना, और धर्म के नाम पर अपने स्वार्थ एवं जिद को सिद्ध करना, शायद एक फैशन बन चुका है। आज, इंसान धर्म के नाम पर बुरी तरह…
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होली, एक पर्व मात्र नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन भी है।होली के रंग तो एक दिन में उतर जाते हैं।क्या जीवन के रंगों का समावेश हमेशा के लिए नहीं कर लेना चाहिए ?
जाने-अनजाने, हम जीवन के रंगों को दरकिनार करते जाते हैं।पता नहीं क्यों हम चटकीले रंगों पर उदासीन रंगों को हावी होने देते हैं? क्यों न…
'द कश्मीर फाइल्स' फ़िल्म देखकर,जो कुछ मैंने महसूस किया, वह ज़िन्दगी में पहली बार हुआ।मेरा दिमाग सुन्न हो चुका था, कुछ भी महसूस करने की जैसे शक्ति ही नहीं थी।निश्चित रूप से यह एक फ़िल्म नहीं थी, एक ऐसा सच था, जिससे सम्पूर्ण मानव-जाति को शर्मिंदा होना चाहिए।
हम सभी ने तमाम कहानियां पढ़ीं हैं,जिनमें बर्बरता…
International Women's Day special : Part - 4
विश्व-पटल पर नारी और कश्मीर-दर्शन
- डॉ. अग्निशेखर
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"शायद जन्मांतरों की
एक अव्यतीत स्मृति की तरह
तुम मेरे भीतर किसी अबूझ उपत्यका में बहती नदी से निकली बाहर जैसे कोई फिल्मी दृश्य हो या महाभारत सीरियल का कोई अंश
'मैं वितस्ता हूँ ' कहा तुमने मुझसे
लगा मुझे समयों…
International Women's Day special : part - 3
मैं, मैं ही रहूंगी....
- डॉ. स्वर्ण ज्योति
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"मैं, मैं ही रहूंगी
अपनी ही छवि बनाऊँगी
मैं राधा नहीं बन सकती
कि आज प्रेयसी प्रताड़ित है
मैं सीता नहीं बन सकती
कि आज पतिव्रता पतित है
मैं मीरा नहीं बन सकती
कि आज भक्ति भ्रमित है
मैं यशोधरा नहीं बन सकती
कि आज विश्वास व्यथित है
मैं…
International Women's Day special : Part - 2
परंपरा एवं आधुनिकता की बुलंद आवाज़
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) के अवसर पर आज जिस शख़्सियत को हम 'चुभन' पर आमंत्रित कर रहे हैं, वे हैं डॉ. चम्पा श्रीवास्तव जी, जिनके व्यक्तित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।हिंदी साहित्य में आपके योगदान को कहने…