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देश भक्ति और भारतीयता

आज गणतंत्र दिवस(26 जनवरी) की मेरे सभी पाठकों को बहुत बहुत शुभकामनाएं।आज का दिन हम सभी के लिए बहुत खास होता है, क्योंकि इसी दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया था।
किसी भी देश के लिए स्वतंत्रता का बहुत मूल्य होता है।वह स्वतंत्रता जो देश के लोगों को अपनी शर्तों पर जीने की सुविधा देती है, उन्हें वह करने का अवसर देती है, जो वे करना चाहते हैं, परंतु यह स्वतंत्रता उस समय बेमानी हो जाती है, जब राष्ट्र-जीवन के संचालन के लिए आवश्यक नियम भी नज़रअंदाज़ कर दिए जाएं।
हमारे देश मे आजकल एक ऐसी सोच विकसित हो गयी है, जिसमें अपने देश की बुराई के सिवा हमें कुछ और दिखता ही नहीं।अपने देश, अपने धर्म और अपनी परंपराओं को बुरा और संकुचित कह देने में हम गर्व अनुभव करते हैं।
हमें एक महत्वपूर्ण बात याद रखनी होगी कि यदि अपनी अखंडता को कायम रखना है तो स्वयं को ‘एक’ रखना होगा।इसलिए आज जब हम अपना गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) मना रहे हैं तो सिर्फ उत्सव तक ही न इसे सीमित रखें बल्कि एक बार अपने भीतर झांकें और ऐसे संकल्प लें जो देश के हित में हों और हमारे देश को विश्व-स्तर पर ले जाएं न कि विश्व-पटल पर हमारा सर शर्म से झुके।
यहां मैं अमरीकी लेखक मार्क ट्वेन, जिनकी रचनाएं विश्व-प्रसिद्ध हैं, उनकी कुछ पंक्तियां देना चाहूँगी।वे भारत-भ्रमण के उद्देश्य से और मुम्बई जिसे तब (1896 ई.) बम्बई कहते थे, वहां व्याख्यान देने आए थे।उन्होंने भारत के विषय में अपने जो भी उद्गार व्यक्त किये हैं, उन्हें आज के समय में हमें पढ़ने और मनन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने लिखा कि ” भारत कई मायनों में बाकी दुनिया से अलग है।ये वह ज़मीन है, जहां सभ्यता ने सबसे पहले अपने क़दम रखे।परंपराएं सबसे पहले पनपीं, सत्य-अहिंसा के अमृत का स्रोत भी सर्वप्रथम यहीं से फूटा।लिहाज़ा, इस ज़मीन को दुनिया का टुकड़ा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक उपहार कहा जाना चाहिए।”
मार्क ट्वेन, जिस भारत की खूबसूरती को अपने शब्दों में व्यक्त कर रहे हैं, उस खूबसूरती का कोई अर्थ नहीं, जब तक देश को एक उचित व्यवस्था, एक प्रणाली न मिले।गणतंत्र एक ऐसी ही व्यवस्था है, जिसे प्राप्त कर 26 जनवरी, 1950 को सही अर्थों में भारत, रिपब्लिक भारत बना।
“We, the people of India” से शुरू हुई संविधान की प्रस्तावना सिर्फ कुछ शब्द भर नहीं, बल्कि देश के लोगों में एकता का भाव भरता मंत्र है, जो दशकों से हम पर जादुई असर डाल रहा है।
मैं एक बात कहना चाहूंगी कि जन्म से लेकर मोक्ष तक हम सब के जीवन में कई पड़ाव आते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, जहां हमें देश के लिए कुछ करने का अवसर मिले और वहां हमारे निजी हित या स्वार्थ मायने नहीं रखते, अगर कुछ मायने रखता है तो वह है देश-हित।
तो इसी भाव को मन में रखते हुए हम हमेशा ही ‘चुभन’ से ऐसे कार्यक्रम प्रसारित करते हैं, जिनसे हमारे समाज, हमारे देश में सकारात्मक संदेश जाए।
आज हम ‘चुभन पॉडकास्ट’ में जिनको आमंत्रित कर रहे हैं, उनसे आप पहले भी मिल चुके हैं।
शाबिस्ता बृजेश जी आज हमारे साथ होंगी और हम उनकी ओजस्वी और वीर रस से परिपूर्ण कविताओं को सुनेंगे।

आपकी वाणी में वह ओज है, वह जोश है जो हम सब को राष्ट्रीयता की भावना से ओत प्रोत कर देता है।आपकी रचनाएं हमें प्रेरित करती हैं कि हम भारतीय होने पर गर्व करें।

आप उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के हाथों सम्मानित हो चुकी हैं।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री जी के हाथों सम्मानित होते हुए।

उसके अलावा उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब द्वारा भी सम्मानित हो चुकी हैं।पुरस्कार और सम्मानों की यदि बात की जाए तो एक लंबी लिस्ट तैयार हो सकती है।
आपकी दस पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं।साहित्य की लगभग हर विधा पर आपने अपनी लेखनी चलाई।
उनके अंदर सनातन संस्कृति के संस्कार और विचार उनके पिता स्वर्गीय सैयद अली कौसर जी ने डाले।ऐसे माता पिता को भी हमारा बारंबार नमन।
उन्होंने जो भी कहा और अपनी ओजस्वी कविताएं प्रस्तुत कीं, उन्हें आप चुभन पॉडकास्ट पर सुनिए।

3 thoughts on “देश भक्ति और भारतीयता

  1. भारतीय लोकतंत्र के महापर्व ” गणतंत्र दिवस ” की 73 वीं वर्षगांठ पर बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ….
    🇮🇳जय हिंद🇮🇳

  2. भावना जी आपको ढेरों आश्रीरवाद एवम स्नेह आपका कार्यक्रम पूर्णता से परिपूर्ण हैं शबिस्ता जी आपको शुभ कामना आप हमारे भारतवर्ष की वास्तव में सही मायनों में देशभक्त नागरिक हैं आपको स्नेह एवम प्रेम। आपके परिवार को माता पिता को कोटिश नमन

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