आज सुबह जैसे ही भारत रत्न,स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के देह-त्याग की खबर सुनी, सच में जैसे कुछ देर के लिए दुनिया रुक गई।मैंने देह-त्याग इसलिए कहा क्योंकि वास्तव में उनकी मृत्यु नहीं हुई, उन्होंने शरीर छोड़ा किन्तु उनकी आत्मा, उनकी आवाज़ हमारे दिलों में सदियों तक गूंजती रहेगी। वे अमर हैं और युगों तक अमर रहेंगी।युग की विभूतियां, युग प्रसूत होती हैं।लता जी में अमरता की सांस थी।
उनकी आवाज़ से न जाने कितने लोगों ने प्रेरणा ली और अपना भविष्य बनाया।
मेरी मां और उनके सभी भाई-बहन तथा उनके बच्चे, सबके लिए आज का दिन ऐसे है, जैसे हमने अपने परिवार के किसी सदस्य को खो दिया है।जिससे कभी मिले नहीं, कभी देखा नहीं, सिर्फ आवाज़ की कशिश और मधुरता ने वह जादू किया कि हमारे परिवार के हर सदस्य की आंखों में आज आंसू हैं।
मुझे पता है कि यही हाल आज हमारे देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे करोड़ों लोगों का होगा।
मेरी मां ने आज, अपने हृदय के उद्गार रुंधे गले और नम आंखों से लता मंगेशकर जी का ही गाया हुआ फ़िल्म ‘लाडली’ (1949) का गीत ‘तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है’ से प्रकट किए हैं।
मेरे श्रोता और पाठक सभी जानते हैं कि आज इतने वर्षों में मैंने कभी अपने परिवार के किसी सदस्य का कोई प्रोग्राम नहीं दिया है, आज भी यह कोई कार्यक्रम नहीं, बस एक शुद्ध और सच्चे हृदय के कलाकार को सच्चे हृदय से श्रद्धांजलि है।