ऐसा माना जाता है, कि साहित्यकार समाज का पथ प्रदर्शक होता है। गूढ़ विषयों को सरल मानदंड लेकर आम आदमी के सामने प्रस्तुत करना, साहित्यकार के कर्तव्य में आता है। जितना उचित मंथन, उतनी ही सही दिशा समाज के लिए तय हो जाती है और जितना सटीक चिंतन, समाज की उतनी ही संतुलित मानसिकता स्थापित […]