– डॉ. श्रीलता सुरेश
अक्कामहादेवी (1120-1160 ई.) एक प्रमुख कर्नाटक भक्ति संत और कवयित्री थीं, जिन्हें भक्ति आंदोलन में विशेष स्थान प्राप्त है। वे वीरशैव (लिंगायत) संप्रदाय की महत्वपूर्ण नेत्री और कवयित्री थीं। उनकी कविताएँ और भजन उनके गहरे आध्यात्मिक अनुभव और ईश्वर के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाते हैं।
जीवन की प्रमुख घटनाएँ
- जन्म और परिवार: अक्कामहादेवी का जन्म कर्नाटक के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे एक धार्मिक और समर्पित परिवार से थीं।
- शैक्षिक और आध्यात्मिक शिक्षा: अक्कामहादेवी ने बहुत कम उम्र में ही धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपने जीवन में लिंगायत संप्रदाय की शिक्षाओं को आत्मसात किया और अपने भजनों और काव्य के माध्यम से उन शिक्षाओं का प्रचार किया।
- वैवाहिक जीवन: अक्कामहादेवी का विवाह एक धनी और प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने विवाह के बंधनों को नकारते हुए धार्मिक जीवन को अपनाया। उन्होंने अपने पति और परिवार की परवाह किए बिना आत्म-साक्षात्कार की खोज की।
- साहित्यिक योगदान: अक्कामहादेवी की कविताएँ और भजन ‘वचन’ नामक काव्य-रूप में संकलित हैं। उनके वचन में धार्मिक और दार्शनिक विचारों का मिश्रण मिलता है। उनके रचनात्मक काम में ईश्वर के प्रति प्रेम, साधना की गहराई और अत्यधिक भक्ति की भावना को व्यक्त किया गया है।
- सामाजिक प्रभाव: अक्कामहादेवी की कविताएँ समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने में सहायक रही हैं। उन्होंने जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और समाज को समानता और प्रेम का संदेश दिया।
आज हमलोग जो नारी
स्वातंत्र्य की बात करते
हैं, उसका विकसित
रूप हमें 12 वीं
शताब्दी की संत
कवयित्री
अक्कामहादेवी जी मे
देखने को मिलता है।
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मृदुल कीर्ति
नमस्कार भावना जी
श्री लता सुरेश जी के साथ आक्का महादेवी पर कार्यक्रम रोचक रहा।
उनके वचन भी अच्छे लगे। अक्का महादेवी का समर्पण सभी के लिए प्रेरणाप्रद है।
एक अच्छे कार्यक्रम की प्रस्तुति हेतु आप दोनों को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 💐💐💐
जी मैम,
आपकी प्रेरणा से हमलोगों ने यह कार्यक्रम बनाया। जैसी मेरी आपसे बात भी हुई थी कि हमलोग बहुत शीघ्र अक्कामहादेवी,ललद्यद और मीराबाई जी पर तुलनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे