अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एवं होली विशेष
✍?अपनी साँसों में मेरी, धड़कनें समाये हुए।
✍?वजूद अपना ही खुद,दाँव पे लगाये हुए॥
✍?सँभल सँभल के क़दम,वो ज़मीं पे रखती थी।
✍?मुझ को नौ माह तक,माँ कोख में छुपाये हुए॥
-डॉ. सागर त्रिपाठी
मां….उसका जीवन में क्या महत्व है, ये उसके रहते शायद कोई भी महसूस नहीं कर पाता, उसके जाने के बाद ही समझ आता है कि दुनिया के हर रिश्ते से ज़्यादा गहरा रिश्ता मां का ही है, जिसके सपने अपने बच्चों की आंखों में खो जाते हैं।
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s Day) है और होली का पावन पर्व भी है। आज मैं किस सम्मानित व्यक्तित्व के साथ कार्यक्रम बनाऊं, यह मेरे लिए सोच का विषय था लेकिन फिर जिनके बारे में मैंने सोचा और उनसे हमारे कार्यक्रम में तशरीफ़ लाने की गुजारिश की तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्होंने बहुत ही सहजता से मेरे निवेदन को स्वीकार कर लिया।
जी हां, आप सोच रहे होंगे कि मैं उनसे आपका परिचय क्यों नही करवा रही ? तो चलिए बता ही देती हूं….आज हमारे साथ हैं विश्वप्रसिद्ध शायर सागर त्रिपाठी साहब। आपने नारी के सबसे पवित्र रूप मां पर हजारों शेर कहे हैं, आपने बेटी पर खण्डकाव्य लिखा है, आपने राधा कृष्ण पर पांच हज़ार से अधिक छंद कहे। “महिला दिवस” (women’s Day) के दिन उनको सुनना हम सबका सौभाग्य होगा, आपने होली पर भी अनगिनत छंद कहे हैं।
होली अपने आप मे महिला सशक्तिकरण का पर्व ही है। बरसाना की विश्व प्रसिध्द होली में न केवल प्रेम और अनुराग है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की छाप भी है। ढाल थामे हुरियारों पर जब हुरियारिन प्रेम पगी लाठियां बरसातीं हैं, तो ये नारी सशक्तिकरण का प्रतीक बनती हैं।
इन दो रंगों के अतिरिक्त एक बात जिसने सागर जी की शख्सियत को ख़ास बना डाला है, उसके बारे में भी आपको बताना चाहूंगी। आपका परिवार अयोध्या रामलला विन्यास का 26 पीढ़ियों से ट्रस्टी है।अयोध्या नगरी पर आपकी रचना सुनकर आंखें नम हो जाती हैं। आप शांडिल्य ब्राह्मण हैं, परंतु आपने मुसलमानों का जो नात है, उसे 45 देशों में पढ़ा है और गर्व होता है कहते हुए भी कि आप दुनिया के एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन्होंने 45 देशों में नात पढ़ी। सर्व धर्म समभाव का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं सागर जी अपने आप में।
आपको हज़ारों सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है। जिनकी संख्या 1650 से कुछ अधिक ही है। कुछ सम्मानों का उल्लेख मैं अवश्य करना चाहूंगी-
●साहित्य गौरव ,बी•एच•यू
●बुंदेलखंड विश्वविद्यालय
साहित्य सम्मान
●साहित्य रत्न/शिखर
●साहित्य शिरोमणि
●साहित्य सारस्वत,मानद
●साहित्य विभूषण
● साहित्य सौरभ
●साहित्य सागर
●साहित्य वैभव
●झाँसी महोत्सव
सम्मान पाँच बार
●कादम्बरी सम्मान 5 बार
●हिन्दी सेवा संस्थान 2बार
●प्रतिभा संवर्धन सम्मान
●हिन्दीसाहित्य अकादमी
●हरे राम हरे कृष्ण सम्मान
●काव्य शिखर सम्मान
●साहित्य श्री सम्मान
●यू*जी*सी*सम्मान 3बार
●उ•प्र•के55 से अधिक सम्मान
●शहंशाह-ए-अदब
●मीर अवार्ड
●ग़ालिब अवार्ड
●बशर अवार्ड
●कश्फ़ी झाँसवी सम्मान
●गुलशन-ए-अदब सम्मान
●शायर-ए-वतन सम्मान
●मोहसिन-ए-अदब सम्मान
●शैदाई- ए-अदब सम्मान
●कोहिनूर-ए-अदब सम्मान
●आबरू-ए-अदब सम्मान
●फ़िराक़ गोरखपुरी सम्मान
●कालिका प्रसाद ‘बशर’ सम्मान
● बर्लिन उर्दू सम्मान
●आई.पी.सी,
(महामानव सम्मान)
● साहित्य वैभव सम्मान
●हरिवंशराय बच्चन सम्मान
●सुमित्रानंदन पन्त सम्मान
● प्रसार भारती प्रेरणा
●वाग्धारा साहित्य सम्मान
☆1650से अधिक सनद, सम्मान,मानपत्र, प्रशस्तिपत्र
अलंकरण,अभिनन्दन पत्र
मानद उपाधियाँ,ट्रॉफी,स्मृति
पत्र इत्यादि!
आपने 80750से जायद अशआर
16786 से ज़ायद ग़ज़लें
हम्द,मुनाजात,नात, सलाम,
मनक़बत,नौहे मर्सिया रुबाइयात
5000दोहे ,सोरठे,
3500 हाइकू
5000छंद/मुक्तक/क़तआत
3500गीत,नवगीत,कविताएँ
अछन्दस काव्य,
विश्व भर में 3500 से भी अधिक,सेमिनार, मुशायरों, काव्य सम्मेलनों,नशिस्तों, बैठकों ,साहित्य गोष्ठियों,में सहभागिता और सम्यक मंच-
संयोजन,संचालन,प्रबंधन, नियोजन,प्रतिपादन।।
200पुस्तकों का लोकार्पण
अपने घर,परिवेश में1000 से अधिक काव्य गोष्ठियों,कार्य शालाओं का आयोजन,शुचि संचालन,प्रबंधन प्रतिपादन,,,
@बेशुमार नातिआ,सलाम, मनक़बत,की मजलिसों में मुसल्सल हाज़िरी ।
44 देशों में काव्य पाठ, मुशायरा ,सेमिनार,शोध पत्र लेखन ,पठन पाठन,
*विदेश काव्य पाठ*====
अमेरिका में 23 नगरों,कनाडा, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड फ्राँस स्विट्ज़लैण्ड,नॉर्वे,स्पेन, इटली,जर्मनी,स्वीडन, नेपाल,सिंगापुर,फिजी थाईलैंड,हांगकांग,जापान, मलेशिया,इंडोनेशिया,सऊदी अरब,क़तर,मस्कत,सलाला, यू°ए°ई°,दुबई,बहरीन,इजिप्ट, जॉर्डन,टर्की(सेण्टोरिनी ),ग्रीस मारिशस,शिशेल्स,माले, श्रीलंका ,आस्ट्रेलिया और न जाने कहां कहां…..
आपकी शख़्सियत के, आपकी शायरी के इतने रंग हैं कि कुछ शब्दों में मैं उनके लेखन को नही समेट सकती।
आपने कुछ शेर ऐसे कहे हैं कि उनसे न जाने कितने लोगों को हौसला मिला है, प्रेरणा मिली है।
आपका एक शेर है….
“जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का।
फिर देखना फ़िज़ूल है क़द आसमान का।”
ऐसा विश्व में पहली बार हुआ है कि किसी राष्ट्र प्रधान द्वारा एक साल में किसी शायर का शेर तीन बार पढ़ा गया हो।
प्रसिद्ध पर्वतारोही एवं पद्मश्री से सम्मानित डॉ. अरुणिमा सिन्हा ने भी इसी शेर को अपने जीवन का सूत्र वाक्य बनाया और इतने असंभव कार्य को संभव करने में इन पंक्तियों के योगदान को स्वीकार किया।
दोस्तों, अब तो आपको भी लग रहा होगा कि ऐसी शख्सियत को सुना जाए तो “चुभन पॉडकास्ट” पर सागर त्रिपाठी साहब से हुए मेरे पूरे संवाद को सुनें।
सागर त्रिपाठी जी एक सच्चे एक अच्छे इंसान के साथ साथ एक सर्वधर्म समभाव एवं एकता व अखण्ता के अद्भुत चिन्तक लेखक रचनाकार शायर कवि हैं जिसपर हिंदी उर्दू साहित्यकारों को गर्व है। मैं भलीभांति परिचित हूं सागर त्रिपाठी जी से। आनलाइन कार्यक्रम में साथ रहा हूं।