– शबिस्ता बृजेश
वरिष्ठ साहित्यकार, आलोचक,
चिंतक
महाकुंभ तप साधना का महापर्व है। इस बार प्रारम्भ से ही इस महाकुंभ में अनेक बातें उठी। पहली बात मुस्लिमों के प्रतिबंध को ले कर हुई । मुझे यह बात उचित भी लगी कि जहां श्रद्धा नही वहां जाने की आवश्यकता क्या ? किन्तु कारण जो लिया गया वह गलत था। अरब के मुसलमानों के कृत्य के लिए हिंदुस्तानी मुस्लिम ज़िम्मेदार नही हो सकते, क्योंकि उन्होंने भारत के किसी धार्मिक स्थल या धार्मिक मेले के आयोजन में हिन्दुओ के प्रवेश पर प्रतिबंध नही लगाया। गंगा जी को पापहारिणी न मानने वाले कई पंथों को उस आयोजन में कैम्प दिए गए। उचित भी था हिन्दू है, भले ही आस्था हो या आस्था न हो।
चलिए आगे बढ़ें, थोड़ा और आगे….. पहली होल्डिंग आयी डिजिटल कुम्भ। मेरे विचार से डिजिटल शब्द का प्रयोग बहुत बड़ी त्रुटि थी। यह कुम्भ था कोई संस्था, कोई करेंसी नही जिसे डिजिटल कर दिया। प्राचीनता हमारी धरोहर है, उससे छेड़छाड़ उचित नही। प्राचीनता को अक्षुण्य बनाये रखते हुए भी नवीनता लाई जा सकती है।
फिर प्रारम्भ हुआ प्रचार-प्रसार। यह महाकुंभ था किसी नेता, किसी मीडिया वाले का मुंडन छेदन नही था, भला आस्थाओं के पर्व में आमंत्रण की क्या आवश्यकता? किन्तु इसका असर यह हुआ कि डिजिटल पर उपजी युवा पीढ़ी और आम जन-मानस को लगा कि इस बार वास्तव में अमृत कलश आएगा। वही अपनी वाह वाही के लिए सत्ता ने बाहरी प्रभावशाली लोगों को भी बुलाया और कुम्भ धनी वर्ग-निर्धन वर्ग में विभाजित हो गया। जनमानस को स्वयं को अक्षय वट के दर्शन हेतु पिंजड़े में और धनी वर्ग को अक्षय वट में विचरण करते देख आक्रोश हुआ। यह आक्रोश 13 जनवरी से बढ़ते बढ़ते 29 को भगदड़ के रूप में प्रस्फुटित हुआ ।भगदड़ में मेरी दृष्टि में न सरकार दोषी है न प्रशासन, यह अकस्मात घटना है किंतु मौत के आंकड़े छिपाने का कार्य जो किया गया वह निंदनीय था। जब सरकार की कोई गलती ही नही थी तो पूरी सच्चाई से उसे मौत के आंकड़े बता कर जनता से खेद व्यक्त करना चाहिए था। आंकड़े छिपाने वालों के विरुद्ध सरकार को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए थी, किन्तु सरकार ने ऐसा न करके जनता को निराश किया।
अब चलें थोड़ा और आगे….. श्रद्धालु, सोशल मीडिया मीडिया और सन्यासियों की ओर। कुम्भ के मन्थन से उन्हें चार रत्नों की प्राप्ति हुई। ममता, हर्षा मोनालिजा और अभय। कुम्भ इन्हीं चारो के इर्द गिर्द सिमटने लगा। साधुओं की नग्नता, उनकी गालियां हेड लाइन बना कर परोसी गईं। साध्वियों में सुंदरता खोजी गई। अघोर पंथ में मुर्दा खाने और सम्भोग क्रिया पर बड़े बड़े प्रश्न उठाये गए। चिमटे की मार भी दिखाते रहे। किन्नर अखाड़ा, सन्यासी कम सौंदर्य प्रसाधन केंद्र अधिक लग रहा था। शंकराचार्य अवि मुक्तेश्वरा नंद को अलग कर दें तो मठाधीश सत्ता की भाषा मे दिखे। “सर्वे भवन्तु सुखिनः” की पंक्ति इस महाकुंभ में लुप्त रही। सोचिए हमने गैर हिंदुओं को क्या दिखाया क्या परोसा? रही बात अंग्रेज़ो को आनन्द आया तो आएगा क्योंकि ऐसी स्वच्छंदता और किस धर्म मे होगी। ज़रूरी नही की कोई इन सब के पीछे रहस्यों तक पहुंच सके।सोशल मीडिया पर कई ऐसी तस्वीरें वायरल हुईं, जिनकी तह तक आम जन नही जा सकते, उसके लिए साधना की आवश्यकता है लेकिन फिर भी सब के आगे इसे परोसा गया, क्या संदेश देना चाहती है मीडिया, सोशल मीडिया। खैर अपनी अपनी रुचि है। मुझे जो पाना था, खोजना था महाकुंभ में वह मुझे एक युवा सन्यासी ने दिखा दिया। जिसका वर्णन मैने छंद के माध्यम से किया। उसके दो शब्दों में कुम्भ का सार मिल गया।
छंद 1 –
“थक गई साधुओं को खोज खोज कुम्भ में तो,
एक युवा साधु रूप मन को लुभाया है।
मजबूत देहयष्टि अधरों पे मुस्कान,
लगता था जैसे महादेव जी की छाया है।
मैंने पूछा बाबा आप कौन हैं बताये ज़रा,
परिचय जो पूछा मंद मंद मुस्काया है।
कौन हूँ मैं यही जानने के लिए मातु सुनो,
वैराग्य त्याग बाबा, महाकुंभ आया है।।”
छंद 2 –
“घर बार छोड़ वैरागी बन घूमा मातु,
मैं रहा जीवित ना मिट पाई दूरी है।
जब तक “मैं” तत्व जीवित रहेगा मध्य,
जान गया तब तक साधना अधूरी है।
इसी लिए वर्षों की साधना तपस्या ये,
वैराग्य त्यागना हमारी मजबूरी है।
जैसे श्मशान बीच जलती चिताओं में भी,
अंतिम तरु जल जाना भी ज़रूरी है।।”
छंद 3 –
“तू” “मैं” तत्व दोनों एकाकार होवे जहां,
ऐसा ही पवित्र स्थान महाकुंभ है।
भीग जाए अन्तस् का कोना कोना डुबकी से,
पूर्ण तृप्ति वाला स्नान महाकुंभ है।
पारखी दृष्टि है तो खोज लेंगे आप यहां,
तप और साधना का ज्ञान महाकुंभ है।
अंतिम चिति की विटप जहां जल जावे,
ऐसा ही पवित्र श्मशान महाकुंभ है।।”
छंद 4 –
“निर्मल गंगधार सबकी है महतारी,
अलगाव वाली कंटेंट ना मिलाइए,
सदियों की साधनाएं होती फलीभूत यहां,
आधुनिकता की यह करंट न लगाइए।
ममता, मोनालिसा रिछारिया अभय जैसे
मंथन से ऐसे आर्नामेंट ना निकालिए,
साधना तपस्या व त्याग का है महापर्व,
इसे आप डिजिटल इवेंट ना बनाइये।।”