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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष : श्रृंखला – 2

International Women’s Day special : Part – 2
परंपरा एवं आधुनिकता की बुलंद आवाज़

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के अवसर पर आज जिस शख़्सियत को हम ‘चुभन’ पर आमंत्रित कर रहे हैं, वे हैं डॉ. चम्पा श्रीवास्तव जी, जिनके व्यक्तित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।हिंदी साहित्य में आपके योगदान को कहने की कोशिश करना भी काफी कठिन है।
आपने 42 वर्ष तक डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य किया और प्राचार्य के पद पर भी रहीं।
आपकी उपलब्धियों की यदि बात की जाए तो आप ‘उत्तर प्रदेश माध्यमिक चयन बोर्ड’, इलाहाबाद तथा ‘उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग’ इलाहाबाद की विशेषज्ञ रहीं।
2007 में आपने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, नई दिल्ली में कक्षा 8 की पाठ्यपुस्तक ‘बसंत भाग – 3’ का निर्माण किया।
2011-12 में आपके द्वारा उत्तर प्रदेश के समस्त विश्विद्यालयों हेतु स्नातक स्तरीय हिंदी-साहित्य एवं हिंदी-भाषा का पाठ्यक्रम सृजन किया गया, जो वर्तमान में संचालित है।
हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर स्तर पर सेमेस्टर वाइज पाठ्यक्रम का सृजन भी आपने किया।
आपने मॉरीशस, इंडोनेशिया, वियतनाम, सिंगापुर आदि कई देशों में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता की।
आपकी 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें निबंध-संग्रह, लघुकथा संग्रह, काव्य-संग्रह, यात्रा वृत्तांत आदि हर विधा में आपने अपनी लेखनी चलाई।
आपको कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।जिनमें ‘पंचशील शोध साहित्य संस्कृत संस्थान, लखनऊ’ ,
‘कबीर अलंकरण’,
‘सुरभि साहित्य संस्कृति अकादमी, खंडवा (म.प्र.)’ – महिला जगत का गौरव
‘उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद-राष्ट्रभाषा हिन्दी’ की बहुआयामी सेवा हेतु,
‘आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान’,
‘रसखान सम्मान’,
‘महादेवी वर्मा अलंकरण’,
‘प्रियंवदा सम्मान’,
‘गुलशननंदा सम्मान’,
‘भक्त शिरोमणि मीरा सम्मान, हल्दीघाटी, राजस्थान’,
‘सुभद्रा कुमारी चौहान, सम्मान’, जकार्ता, इंडोनेशिया-2018
वियतनाम:साहित्य सृजन उन्नयन प्रचार प्रसार – 2019
शौर्य कवि रामधारी सिंह दिनकर सम्मान – 2021।

डॉ. चम्पा जी के साथ हुई पूरी बातचीत आप ‘चुभन पॉडकास्ट’ पर सुन सकते हैं।उन्होंने स्वाधीनता के अमृत महोत्सव में भारतीय नारियों की कितनी भूमिका रही है, इस विषय पर बहुत अच्छे तरीके से प्रकाश डाला है।
महिला दिवस की बात करते हुए हम मां को नहीं भूल सकते।माता के रूप में नारी धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है।माता यानी जननी।महाभारत में भी पांडवों से यक्ष ने जो प्रश्न पूछे थे, उनमें से एक प्रश्न यह भी था कि पृथ्वी से भारी क्या है ? इसके उत्तर में युधिष्ठिर ने कहा था कि “पृथ्वी से भारी मां होती है।”
युधिष्ठिर के उत्तर से यक्ष संतुष्ट हुआ, इसीलिए युधिष्ठिर पत्थर नहीं हुए।इस प्रसंग से पता चलता है कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में माता को कितना मान दिया गया है।
डॉ. चम्पा श्रीवास्तव जी ने पूरे संवाद को बहुत ही रोचक बना दिया है और ज्ञान भी इस तरह से देने का प्रयास किया है कि जैसे कोई मित्र सखाभाव से कुछ कह रहा हो।उनके साथ हुए मेरे पूरे संवाद को सुनें।

3 thoughts on “अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष : श्रृंखला – 2

  1. International women’s day – part -2. Dr. Champa Shrivastav, international personality of Hindi literature touched many issues those are even not came in the knowledge📚 of modern criticism. Dr. Champa Shrivastav has a global🌎 vision whenever she writes whether it’s a micro or mega subject matter. Struggle of women are very scholarly portrayed by this world fame Professor of Hindi literature📚.

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