Chubhan Today

रूढ़ियों और परंपराओं को चुनौती देती शख़्सियत : शाबिस्ता बृजेश

शांत लहरों को सुनामी में न परिवर्तित करें छोड़ दें यह ज़िद कि हम भी प्रेम परिभाषित करें…… सच में बहुत कठिन है, प्रेम को परिभाषित करना क्योंकि प्रेम के इतने रंग, इतने रूप होते हैं कि इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है, शब्दों की सीमा में बांधना तो असंभव ही है। आज हमने…

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साहित्यकार अग्निशेखर : एक बहुआयामी व्यक्तित्व

सुम्बल, मेरे गांव! कैसे हो मैं तुम्हें सांस सांस करता हूं याद तुम्हारे बीचो बीच से होकर बहती वितस्ता मेरी शिराओं में बहती है मैं हर रोज़ तुम्हारे पुल से छलांग मारकर दूर तक तैरता रहता हूं तुम्हारे आंसुओं में। तुम्हारे उदास चिनारों पर हर शाम उतरती हैं ,मेरी नींद की चिड़ियां जो सपनों में…

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विजयादशमी का हमारे जीवन में व्यवहारिक महत्व

विजयादशमी के पावन पर्व पर आप सभी को अनंत मंगलकामनाएं। इन पर्व-उत्सवों की जो उमंग पहले हुआ करती थी, वह अब उतनी नहीं रही।इन त्योहारों का स्वरूप लोकोन्मुखी नही रह गया है।आज जीवन में राम को लाने की आवश्यकता है तभी इन पर्वों को सही मायने में प्रासंगिक बनाया जा सकता है। हम सब जानते…

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जनसत्ता बनाम राजनीति

सारी दुनिया आशा और निराशा, तनाव और टकराव तथा आतंक एवं युद्ध के बीच झूल रही है। महाशक्तियां आणविक शस्त्रों की होड़ में सारे विश्व को दहशत के साथ जीने को मजबूर किए हुए हैं। ऐसा नहीं कि इन देशों की जनता के मन में यह दहशत न हो, बल्कि यह उनमें तो हम से…

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महात्मा गाँधी:जीवन जीने की कला सिखाता एक व्यक्तित्व

इन्सान के महान विचार कार्य रूप में परिणत हों तो वह कई कदम आगे निकल जाता है और इस बात को सबसे अधिक किसी ने साबित किया है तो वे हैं युगपुरुष महात्मा गाँधी।सदियों बाद ऐसे प्रभावशाली पुरुष का उदय होता है।2 अक्टूबर 1869 यानि आज के दिन ही गाँधी जी का जन्म गुजरात के…

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धरती माँ के लाल-लाल बहादुर शास्त्री

जैसे ही अक्टूबर माह लगता है वैसे ही मन गर्व से भर उठता है क्योंकि इसी माह की 2 तारीख को देश के दो महान सपूतों राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी दोनों का जन्मदिन होता है।इस अवसर पर आज मैं शास्त्री जी की कर्मठता,सादगी,ईमानदारी,सत्यनिष्ठा,शालीनता,वाक्पटुता आदि विशेषताओं की…

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बिसरी भारतीयता – पॉडकास्ट

                             – अजय “आवारा” यह सच है कि हमारी संस्कृति अपने आप में आकाश है। पर हम अपनी संस्कृति से कितना जुड़े हुए हैं और कितना उसे भूल चुके हैं ? क्या हम भारतीयता को सही मायनों में जी रहे हैं ?…

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हिन्दी-दिवस – “चुभन पॉडकास्ट”

हिन्दी-दिवस की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज हिंदी राजभाषा, संपर्क भाषा और जन भाषा के सोपानों को पार कर विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हिन्दी-दिवस भी एक आयोजन और प्रतीक की तरह ही हर साल आता जाता न रहे, बल्कि ठोस कार्य करने होंगे…

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कश्मीरी विस्थापितों की चुभन : सम्मानजनक वापसी

वक्त के बहाव में कभी-कभी सब कुछ बह जाता है, ढह जाता है और हम टूट कर, बिखर कर रह जाते हैं। ऐसे ही एक बहाव, एक तूफान ऐसा आया कि हमारे देश की संस्कृति का उद्गम स्थल, उसका मुकुट, भारत की शान कहे जाने वाले कश्मीर में ऐसा सब कुछ बदला कि खंडहर से…

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आवारा की बातें

अतीत का वर्तमान : अमृता प्रीतम                                   -अजय ‘आवारा’ अमृता प्रीतम जी की लेखनी के बारे में कुछ लिखना, किसी आम कलम के बूते की बात नहीं। अमृता प्रीतम वह लेखिका हैं, जिनकी कलम उन्हें सब से अलग खड़ा…

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