Blog दक्षिण भारत के रंग

दक्षिण भारत में हिन्दी साहित्य

आप सभी को ,वैश्विक पटल पर हिंदी के विशेष उत्सव,’विश्व हिंदी दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएं। 10 जनवरी 2006 से इस दिवस को मनाया जा रहा है।इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी को अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्ज़ा दिलाना और प्रचार-प्रसार करना है।साथ ही हिन्दी को जन-जन तक पंहुचाना है। हमारे देश की सभ्यता एवं संस्कृति की यही तो […]

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कोरोना काल में नया साल

– मेजर जनरल ए.के. शोरी जी के शब्द   वैश्विक महामारी कोरोना हमारे जीवन में अचानक ही नहीं आ गयी।वास्तव में,प्रकृति काफी लंबे समय से हमें संकेत दे रही थी परंतु हम उसकी अनदेखी करने में लगे थे।स्वाइन फ्लू,डेंगू जैसी बीमारियां खतरे की घंटी बजा रहीं थीं,तो वही भूकंप, बाढ़ और तूफान आदि हमारे दरवाजे […]

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शायर राजिंदर सिंह बग्गा जी से एक मुलाक़ात

“मैं अतीत को सिर्फ वर्तमान की प्रेरणा मानता हूं।सुनाने के लिए ज़्यादा कुछ भी नहीं है।मेरा मानना है कि अतीत ही वर्तमान का पाथेय है, मगर जब वह केवल सुनाने की वस्तु हो जाती है तो मनुष्य को बूढ़ा बना देती है।कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए उदात्त स्मृतियां हमेशा प्रेरणा का काम करती […]

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कृषि क़ानूनों पर कानूनविद डॉ. भारत जी के विचार

हेमंत में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है पावस निशाओं में तथा हंसता शरद का सोम है हो जाए अच्छी भी फसल, पर लाभ कृषकों को कहां? खाते, खवाई, बीज ऋण से हैं रंगे रखे जहां आता महाजन के यहां वह अन्न सारा अंत में अधपेट खाकर फिर उन्हें है कांपना हेमंत में बरसा […]

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सुशासन:रामराज्य के संदर्भ में-मेजर जनरल अमिल कुमार शोरी जी के विचार

“समस्या एक मेरे सभ्य नगरों और ग्रामों में सभी मानव सुखी,सुंदर व शोषण मुक्त कब होंगे?” सुशासन की आस लगाए सुप्रसिद्ध कवि मुक्तिबोध की यह पंक्तियां कितनी सटीक हैं।सवाल यह उठता है कि जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति ही जहां बाधित है, वहां के लोगों के लिए कैसा मानवाधिकार और कैसा सुशासन? सुशासन की […]

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कोरोना योद्धा:राम उग्रह शुक्ला

जग पीड़ित है अति दुख से जग पीड़ित है अति सुख से मानव-जीवन में बंट जाए सुख-दुख से,दुख-सुख से। -सुमित्रा नंदन पंत पंत जी की यह पंक्तियां कितनी सारगर्भित हैं।सच में सुख दुख से और दुख सुख से बंट जाए तो मानव-जीवन मे कोई विपदा ही न रहे लेकिन इसके लिए कई हाथ मदद के […]

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हरिवंशराय बच्चन जी

हरिवंशराय बच्चन जी का जन्म आज ही के दिन यानि 27 नवंबर 1907 को प्रयाग (इलाहाबाद) के पास प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बाबूपट्टी में हुआ था। बच्चन जी को हिंदी साहित्य के छायावाद व प्रगतिवाद के संधिकाल का कवि माना जाता है।इस कालावधि के काव्य-साहित्य की अनेक प्रवृत्तियां हैं।इस धारा के कवियों […]

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मलिक मोहम्मद जायसी

संत कवि कबीरदास, मलिक मोहम्मद जायसी,तुलसीदास,छायावाद के प्रवर्तक कवि जयशंकर प्रसाद और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी मेरे सबसे प्रिय कवि रहे हैं परंतु इसका यह मतलब कदापि नहीं कि बाकी के कवि कहीं से भी कम हैं।हमारा हिंदी साहित्य इतना समर्थ है कि एक से एक रचनाकार और उनकी रचनाएं हैं। लेकिन पता नहीं क्यों […]

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जयशंकर प्रसाद:पुण्यतिथि पर नमन

कविवर #जयशंकर_प्रसाद साहित्य के उन अमर रचनाकारों में से एक हैं, जिन्होंने देवी सरस्वती के पावन मंदिर में अनेक श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं।अपनी प्रतिभा से उन्होंने हिंदी साहित्य के कविता, कहानी,नाटक ,निबंध और उपन्यास आदि विविध अंगों को समृध्द किया है। छायावाद के वे प्रवर्तक कवि थे।जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में न […]

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अर्णव गोस्वामी की जीत:लोकतंत्र की जीत

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता के पिलर अर्णव गोस्वामी को आज जिस तरह माननीय सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली और तुरंत रिहा करने का आदेश दिया गया उसने आज सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारी व्यवस्था कहाँ जा रही है?आज लोकतंत्र की विजय हुई है।सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि […]

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