किसी भी समाज की उन्नति के लिए आवश्यक है कि उस समाज की महिलाएं अपने मज़हबों को मानते हुए भी प्रगतिशील नज़रिया रखें,परन्तु बदकिस्मती से ऐसा हुआ नहीं।औरतों को पूरी दुनिया में भेदभाव का शिकार होना पड़ा है।भारत में औरतों के संघर्ष कहीं अधिक जटिल रहे हैं और आज भी हैं।ख़ास तौर पर मुस्लिम औरतों […]
Author: Chubhan Today
प्रथम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी-मंगल पाण्डे
निसंदेह भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की गिनती आधुनिक समाज के सबसे बड़े आंदोलनों में की जाती है।विभिन्न विचारधाराओं और वर्गों के करोड़ो लोगों को इस आन्दोलन ने राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया और औपनिवेशिक साम्राज्य को घुटने टेकने के लिए विवश किया। 1857 के विद्रोह के सम्बन्ध में इतिहासकारों,विद्वानों और प्रशासकों […]
बेटियां
इधर चार-पांच दिन से टेलीविजन या सोशल मीडिया में एक ही किस्सा छाया हुआ है,बरेली से भाजपा विधायक राजेश मिश्र उर्फ़ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी मिश्रा की शादी का।जिसने अजितेश नामक युवक से बिना अपने घरवालों की रजामंदी के शादी कर ली।अब यह कोई नई बात तो नहीं है।न जाने कितने युवा जोड़े बिना […]
भगवा,जय श्री राम या हिन्दू कहने में आपत्ति क्यों?
कुछ बातों की चर्चा मुझे लगता है कि बिलकुल अनर्गल होती है।उनपर बहस करना मतलब समय बर्बाद करना है।इस आधुनिक समाज में जहाँ करने को इतना कुछ है वहां छोटे-छोटे दकियानूसी विषयों या कह लें मुद्दों पर लम्बी-लम्बी बहस चलती है और समय बर्बाद किया जाता है जो निश्चित तौर पर दिल में चुभन देता […]
स्त्री त्रासदी का यथार्थ रूप भाग 2
मुझे खेद है कि ‘स्त्री त्रासदी का यथार्थ रूप भाग 2’ प्रकाशित करने मे मुझे अधिक समय लग गया। ममता जी के शब्द जो मैंने इस लेख के प्रथम भाग में दिए हैं, कितने सटीक हैं कि प्रेम और विवाह दो अलग संसार हैं।प्रेम में भावना और विवाह में व्यवहार की ज़रूरत होती है।यही व्यवहार […]
स्त्री त्रासदी का यथार्थ रूप भाग 1
स्त्री त्रासदी के यथार्थ रूप को शब्द देने वाली लेखिका ममता कालिया जी की किताब ‘बोलने वाली औरत’ की कुछ पंक्तियाँ जो मेरे दिल में चुभन का एहसास दे गईं वह मैं सबसे पहले आपके साथ साझा करना चाहूंगी, “प्रेम और विवाह दो अलग-अलग संसार हैं।एक में भावना और दूसरे में व्यवहार की ज़रूरत होती […]
अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे
शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि मेरा इशारा किस ओर है तो दोस्तों आज पूरा दिन राजनीतिक हलकों में जो कुछ होता रहा उसे देख सुन कर मुझे यही मुहावरा याद आया।कॉंग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपना इस्तीफा देते फिर रहे हैं लेकिन किसको?जवाब एक ही अपने दरबारियों या चापलूसों या फिर परिवार के सदस्यों […]
नई शुरुआत की ओर बढ़ते क़दम
आज विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत के लिए बहुत ही शुभ दिन है जब इतने अधिक बहुमत के साथ और अब तक के सबसे ज़्यादा वोट प्रतिशत के साथ चुनी हुई सरकार हम सबको प्राप्त हुई है।हमें खुले मन और सकारात्मकता के साथ इसे स्वीकार करना चाहिए।सबके अपने-अपने विचार और नीतियां हो सकतीं […]
वोट की गोट में आपा खोते नेता
जैसा कि मैं पहले भी कई बार लिख चुकी हूँ और फिर आज एक बार लिख रही हूँ कि मेरी राजनीति में कोई भी रूचि नही है और न ही किसी राजनीतिक दल से मेरा कोई लेना-देना है लेकिन एक आम नागरिक की हैसियत से अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों का निर्वहन करते हुए मैं […]
आज फिर तुम कहो इक नई दास्तान….
तेरहवीं सदी में कहानी कहने की एक कला के रूप में जिस विधा का सबसे अधिक प्रसार हुआ, वह थी ‘दास्तानगोई’।वैसे तो यह कला फारस से आई परन्तु भारत में भी इस कला के मुरीद सदियों से रहे हैं और हमारे देश में मुग़ल बादशाहों के शासनकाल में दास्तानगोई की परम्परा का आरम्भ हुआ।आज के […]