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बहुआयामी रंग लिए एक व्यक्तित्व

आज हम बंगलुरू की डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी के बारे में बात करेंगे, जो कि एक कवयित्री, साहित्यकार, समीक्षक, कलाकार ,विचारक ,जीवन प्रशिक्षक, प्रोफेसर, अनुवादक , दार्शनिक, संस्थापक अध्यक्ष इत्यादि अनेक रूपों में हमारे सामने आती है, अनेकों सम्मान और पुरस्कारों से आपकी रचनाओं और कार्यों  को सराहा गया है। परंतु अपना परिचय वे स्वयं […]

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सबका सम्मान, अपना अपमान

                         – अजय ‘आवारा’ इतना तो सब कहते हैं कि हमें अपनी परंपराओं पर अभिमान करना चाहिए। यह भी सब मानते हैं कि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि हमें अन्य संस्कृति, सभ्यता एवं […]

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हिन्दी-दिवस

पारंम्परिक तौर पर हम हिंदी दिवस प्रतिवर्ष मनाते हैं। सवाल यह है कि इतने वर्षों के बाद हिंदी कहां तक पंहुची है? भारतवर्ष में हिंदी की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या हिंदी वास्तव में हमारे सांस्कृतिक मोतियों को पिरोने वाला सूत्र बन गई है? ऐसे अनेक सवाल हैं जिनके उत्तर अभी भी अज्ञात हैं। आइए […]

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अधूरी आज़ादी

             -रामेंद्र सिंह चौहान,         संपादक डी डी न्यूज़ लखनऊ बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है। कैसे उल्लास मनाऊँ मैं, थोड़े दिन की मजबूरी है॥ दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे। गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥ यह सपना […]

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हर घर तिरंगा

                      -रामेंद्र सिंह चौहान                         संपादक डी डी न्यूज़, लखनऊ सवाल उठता है कि आखिर हर घर तिरंगा अभियान क्यों? यह तिरंगा अभियान इसलिए क्योंकि अब काशी में बम विस्फोट नहीं होते, अब बाबा […]

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मां

“मां तेरी उपमा अनुपम है, अनुपमेय गरिमा है, तू है यशस्वी शाश्वत तेरी, अकथनीय महिमा है।” मां एक छोटा सा नाम, किन्तु जिसका विस्तार नभ से भी बड़ा है।मां का ममत्व किसी अविरल बहते मीठे जल की नदी से भी ज़्यादा शीतल है ।माँ, जिसके आँचल की शीतलता का मुकाबला, पछुवा की ठंडी पवन भी […]

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किन्नर गाथा

किन्नर, वह समुदाय, जिसे शायद समाज अपना हिस्सा मानता ही नहीं है। पता नहीं, हम क्यों भूल जाते हैं कि किन्नर, हमारे इतिहास की रचना के एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। फिर वह चाहे महाभारत रही हो या कोई और कथा। राजघरानों में तो किन्नर कला, शिक्षा, ज्ञान एवं दर्शन के प्रतीक माने जाते थे। […]

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हमारी अस्मिता और आस्था : श्री राम

श्री राम एक युग विशेष के प्रतिनिधि न होकर, युग-युग के प्रतिनिधि हैं।उनका संघर्षपूर्ण चरित्र हमें कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है। एक बात सत्य है कि भारतीय चिंतन-धारा को, जिन दो महान व्यक्तित्व ने सर्वाधिक प्रभावित किया है वे श्रीकृष्ण तथा श्री राम के व्यक्तित्व हैं।इन दो लोक नायकों के गरिमायुक्त, लोकोत्तर, अप्रतिम […]

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देश : संस्कृति या स्वाभिमान

               – अजय “आवारा” देश, एक सीमा में बंधा भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं है। न ही देश कुछ लोगों का समूह मात्र है और न ही देश एक शासन व्यवस्था का नाम है। देश, एक संस्कृति है, वहां रहने वाले लोगों की सांस्कृतिक पहचान है। देश, यूं ही […]

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क्या हम भटक गए हैं ?

          – अजय “आवारा” आज, धर्म के नाम पर चर्चा करना, धर्म के नाम पर अधिकार मांगना, धर्म की आड़ में मानवता की बात करना, और धर्म के नाम पर अपने स्वार्थ एवं जिद को सिद्ध करना, शायद एक फैशन बन चुका है। आज, इंसान धर्म के नाम पर बुरी तरह […]

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