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अवस्थी से भिखारी तक

आज देश मे गोवंश की दशा बहुत अच्छी नहीं है।इन बेज़ुबानों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार क्यों ? जबकि गाय इस देश का धर्मशास्त्र है, कृषि शास्त्र है, अर्थशास्त्र है, नीति शास्त्र है, उद्योग शास्त्र है, समाज शास्त्र है, आरोग्य शास्त्र है, पर्यावरण शास्त्र है और अध्यात्म शास्त्र भी है। आज हम जिनसे मिलेंगे, वे हैं […]

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सुभाषितों को जन-जन के मन तक पहुंचाते सहृदय कवि

डॉ. भावप्रकाश गांधी “सहृदय” सहायक प्राध्यापक-संस्कृत, सरकारी विनयन कॉलेज गांधीनगर, गुजरात। संस्कृत केवल भाषा नहीं है परंतु सत्य सनातन भारतीय संस्कृति की संवाहिका भी है । यह भाषा किसी न किसी रूप में विश्व के कोने कोने में व्याप्त है । संस्कृत साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य माना जाता है । यह साहित्य निर्माण […]

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Blog कश्मीर के रंग

रंगमंच और सिनेमा की सशक्त अभिनेत्री : भाषा सुम्बली

समकालीन हिंदी कविता के सुप्रसिद्ध कवि डॉ. अग्निशेखर जी की एक कविता से मैं आरम्भ करूँगी।पहले आप इस कविता को पढ़ें, फिर मैं बताती हूं कि आज की पोस्ट का आरंभ इस कविता से ही क्यों ? एक ललवाख का जन्म (बेटी भाषा सुम्बली के लिए) -अग्निशेखर प्रसूति गृह के बाहर मैं घड़ी की सुई […]

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मशहूर शायरा श्यामा सिंह सबा जी के साथ एक संवाद

भाषा हमारे मनोभावों की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम है।यह किसी की जागीर नही होती।विभिन्नता में एकता हमारे देश की विशेषता है और इसी विभिन्नता में भाषा गत विभिन्नता भी आती है। हमारी मातृभाषा हिंदी है परंतु इस मां का ह्रदय इतना विशाल है कि यह हर भाषा को आलिंगन बद्ध करके अपने अन्तस् में […]

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रूढ़ियों और परंपराओं को चुनौती देती शख़्सियत : शाबिस्ता बृजेश

शांत लहरों को सुनामी में न परिवर्तित करें छोड़ दें यह ज़िद कि हम भी प्रेम परिभाषित करें…… सच में बहुत कठिन है, प्रेम को परिभाषित करना क्योंकि प्रेम के इतने रंग, इतने रूप होते हैं कि इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है, शब्दों की सीमा में बांधना तो असंभव ही है। आज हमने […]

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Blog कश्मीर के रंग

साहित्यकार अग्निशेखर : एक बहुआयामी व्यक्तित्व

सुम्बल, मेरे गांव! कैसे हो मैं तुम्हें सांस सांस करता हूं याद तुम्हारे बीचो बीच से होकर बहती वितस्ता मेरी शिराओं में बहती है मैं हर रोज़ तुम्हारे पुल से छलांग मारकर दूर तक तैरता रहता हूं तुम्हारे आंसुओं में। तुम्हारे उदास चिनारों पर हर शाम उतरती हैं ,मेरी नींद की चिड़ियां जो सपनों में […]

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विजयादशमी का हमारे जीवन में व्यवहारिक महत्व

विजयादशमी के पावन पर्व पर आप सभी को अनंत मंगलकामनाएं। इन पर्व-उत्सवों की जो उमंग पहले हुआ करती थी, वह अब उतनी नहीं रही।इन त्योहारों का स्वरूप लोकोन्मुखी नही रह गया है।आज जीवन में राम को लाने की आवश्यकता है तभी इन पर्वों को सही मायने में प्रासंगिक बनाया जा सकता है। हम सब जानते […]

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जनसत्ता बनाम राजनीति

सारी दुनिया आशा और निराशा, तनाव और टकराव तथा आतंक एवं युद्ध के बीच झूल रही है। महाशक्तियां आणविक शस्त्रों की होड़ में सारे विश्व को दहशत के साथ जीने को मजबूर किए हुए हैं। ऐसा नहीं कि इन देशों की जनता के मन में यह दहशत न हो, बल्कि यह उनमें तो हम से […]

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महात्मा गाँधी:जीवन जीने की कला सिखाता एक व्यक्तित्व

इन्सान के महान विचार कार्य रूप में परिणत हों तो वह कई कदम आगे निकल जाता है और इस बात को सबसे अधिक किसी ने साबित किया है तो वे हैं युगपुरुष महात्मा गाँधी।सदियों बाद ऐसे प्रभावशाली पुरुष का उदय होता है।2 अक्टूबर 1869 यानि आज के दिन ही गाँधी जी का जन्म गुजरात के […]

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धरती माँ के लाल-लाल बहादुर शास्त्री

जैसे ही अक्टूबर माह लगता है वैसे ही मन गर्व से भर उठता है क्योंकि इसी माह की 2 तारीख को देश के दो महान सपूतों राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी दोनों का जन्मदिन होता है।इस अवसर पर आज मैं शास्त्री जी की कर्मठता,सादगी,ईमानदारी,सत्यनिष्ठा,शालीनता,वाक्पटुता आदि विशेषताओं की […]

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