जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित है अति सुख से
मानव-जीवन में बंट जाए
सुख-दुख से,दुख-सुख से।
-सुमित्रा नंदन पंत
पंत जी की यह पंक्तियां कितनी सारगर्भित हैं।सच में सुख दुख से और दुख सुख से बंट जाए तो मानव-जीवन मे कोई विपदा ही न रहे लेकिन इसके लिए कई हाथ मदद के आगे आने चाहिए जो दूसरों…
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हरिवंशराय बच्चन जी का जन्म आज ही के दिन यानि 27 नवंबर 1907 को प्रयाग (इलाहाबाद) के पास प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गांव बाबूपट्टी में हुआ था।
बच्चन जी को हिंदी साहित्य के छायावाद व प्रगतिवाद के संधिकाल का कवि माना जाता है।इस कालावधि के काव्य-साहित्य की अनेक प्रवृत्तियां हैं।इस धारा के कवियों तथा…
संत कवि कबीरदास, मलिक मोहम्मद जायसी,तुलसीदास,छायावाद के प्रवर्तक कवि जयशंकर प्रसाद और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी मेरे सबसे प्रिय कवि रहे हैं परंतु इसका यह मतलब कदापि नहीं कि बाकी के कवि कहीं से भी कम हैं।हमारा हिंदी साहित्य इतना समर्थ है कि एक से एक रचनाकार और उनकी रचनाएं हैं।
लेकिन पता नहीं क्यों इन…
कविवर #जयशंकर_प्रसाद साहित्य के उन अमर रचनाकारों में से एक हैं, जिन्होंने देवी सरस्वती के पावन मंदिर में अनेक श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं।अपनी प्रतिभा से उन्होंने हिंदी साहित्य के कविता, कहानी,नाटक ,निबंध और उपन्यास आदि विविध अंगों को समृध्द किया है।
छायावाद के वे प्रवर्तक कवि थे।जिसके द्वारा खड़ी बोली के काव्य में न केवल…
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता के पिलर अर्णव गोस्वामी को आज जिस तरह माननीय सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली और तुरंत रिहा करने का आदेश दिया गया उसने आज सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारी व्यवस्था कहाँ जा रही है?आज लोकतंत्र की विजय हुई है।सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि…
"संस्कृतं नाम दैवी वाग् अन्वाख्याता महर्षिभिः"। महर्षियों ने संस्कृत को 'देववाणी' कहा है।ऐसी हमारी 'देववाणी' की आज क्या दशा है, यह प्रश्न स्वाभाविक रूप से मन में उठता है।
"भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा" । भारत की प्रतिष्ठा दो के कारण है- एक संस्कृत तथा दूसरी संस्कृति।
इन्हीं दोनों का आज क्या हाल हो गया है?संस्कृत भाषी…
स्वर कोकिला,भारत रत्न लता मंगेशकर सिर्फ हमारी फिल्म इंडस्ट्री की एक महान गायिका ही नहीं अपितु सुरों की देवी हैं और कई दिग्गज कलाकार जो हमसे कही ज़्यादा अनुभवी हैं,उन्होंने भी लता जी को माँ सरस्वती की तरह माना है।लता जी जैसी गायिका इस देश में ही नहीं,धरती पर भी कोई और नहीं है।
आज 28…
हिंदी साहित्य के क्रांतिदर्शी कवि,अपनी कविता से हृदय को झकझोर देने वाले प्रमुख लेखक, कवि व निबंधकार आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जी को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन।
दिनकर जी का व्यकितत्व आत्म-विश्वास,दृढ़ता, साहित्यकार की अनुभूति-प्रवणता,दार्शनिक तत्वचिंतन तथा ओज से युक्त था।उनके वाह्य व्यक्तित्व में क्षत्रियों का तेज,ब्राह्मण का…
" दिया क्यों जीवन का वरदान?
इसमें है स्मृतियों का कंपन,सुप्त व्यथाओं का उन्मीलन,
स्वप्नलोक की परियां इसमें,भूल गईं मुस्कान!
दिया क्यों जीवन का वरदान?
इसमें है झंझा का शैशव,अनुरंजित कलियों का वैभव,
मलय पवन इसमें भर जाता, मृदु लहरों के गान!
दिया क्यों जीवन का वरदान?"
इन पंक्तियों की रचयिता आधुनिक हिंदी साहित्य की सबसे प्रतिभावान एवं सशक्त कवयित्रियों में से…
"हिम्मत करे इंसान तो क्या हो नहीं सकता
वह कौन सा उक़दा है जो हो नहीं सकता
तदबीर अगर चाहे तो तक़दीर बदल जाए
बिगड़े हुए हालात की तस्वीर बदल जाए।"
सच में हिम्मत ही वह ढाल है जो हमें हर दुख,कठिनाई या बुराई से निकाल लेती है लेकिन फिर भी हममें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो…