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स्त्री त्रासदी का यथार्थ रूप भाग 1

स्त्री त्रासदी के यथार्थ रूप को शब्द देने वाली लेखिका ममता कालिया जी की किताब ‘बोलने वाली औरत’ की कुछ पंक्तियाँ जो मेरे दिल में चुभन का एहसास दे गईं वह मैं सबसे पहले आपके साथ साझा करना चाहूंगी, “प्रेम और विवाह दो अलग-अलग संसार हैं।एक में भावना और दूसरे में व्यवहार की ज़रूरत होती…

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अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपने को दे

शीर्षक पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि मेरा इशारा किस ओर है तो दोस्तों आज पूरा दिन राजनीतिक हलकों में जो कुछ होता रहा उसे देख सुन कर मुझे यही मुहावरा याद आया।कॉंग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपना इस्तीफा देते फिर रहे हैं लेकिन किसको?जवाब एक ही अपने दरबारियों या चापलूसों या फिर परिवार के सदस्यों…

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नई शुरुआत की ओर बढ़ते क़दम

आज विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश भारत के लिए बहुत ही शुभ दिन है जब इतने अधिक बहुमत के साथ और अब तक के सबसे ज़्यादा वोट प्रतिशत के साथ चुनी हुई सरकार हम सबको प्राप्त हुई है।हमें खुले मन और सकारात्मकता के साथ इसे स्वीकार करना चाहिए।सबके अपने-अपने विचार और नीतियां हो सकतीं…

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वोट की गोट में आपा खोते नेता

जैसा कि मैं पहले भी कई बार लिख चुकी हूँ और फिर आज एक बार लिख रही हूँ कि मेरी राजनीति में कोई भी रूचि नही है और न ही किसी राजनीतिक दल से मेरा कोई लेना-देना है लेकिन एक आम नागरिक की हैसियत से अपने अधिकारों और कर्तव्यों दोनों का निर्वहन करते हुए मैं…

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आज फिर तुम कहो इक नई दास्तान….

 तेरहवीं सदी में कहानी कहने की एक कला के रूप में जिस विधा का सबसे अधिक प्रसार हुआ, वह थी ‘दास्तानगोई’।वैसे तो यह कला फारस से आई परन्तु भारत में भी इस कला के मुरीद सदियों से रहे हैं और हमारे देश में मुग़ल बादशाहों के शासनकाल में दास्तानगोई की परम्परा का आरम्भ हुआ।आज के…

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येचुरी जैसों के चुभते बोल

हम भारत देश के लोग नैतिकता की,चरित्र की या अपने धार्मिक प्रेम की जितनी भी बातें कर लें लेकिन आज हम जिस स्तर पर पहुंचे हुए हैं उसमें स्वयं को उस देश का नागरिक कहने में भी शर्म आती है जिस देश के धर्म और संस्कृति से आधा जगत प्रभावित है।चीन और जापान,तिब्बत और नेपाल,बर्मा…

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कुछ चुभते प्रश्न

चुनावी माहौल में आजकल चाहे हम न्यूज़ पेपर पढ़ें या किसी भी टी.वी.चैनल पर डिबेट देखें,बस हर तरफ आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है।किसी भी तरह से चुनाव में जीत हासिल कर ली जाए बस यही मकसद है और इसे पूरा करने के लिए किसी भी हद को पार करने में कोई संकोच नही किया…

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परिवर्तन

हममें से शायद ही कोई होगा जो अपने बचपन को याद नही करता होगा।कैसा भी उम्र का वह दौर रहा हो लेकिन उसकी मिठास,उसकी ठंडक और उसमें जो छांव मिलती है वह पूरा जीवन बिता लेने के बाद भी कभी वापस नहीं आ पाती।उसका एक कारण शायद यह भी होता है कि उम्र के उस…

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संवेदनहीन होते हम

आज का युग जड़-विज्ञान का युग है।विज्ञान ने भांति-भांति के यंत्रों का आविष्कार किया है।जड़ीय सुख के लोभ में मनुष्य जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनका उपयोग कर रहा है।इससे समाज में अभूतपूर्व परिवर्तन हो गया है।जीवन यंत्रवत हो गया है।जितना जीवन यंत्रवत हो गया है और जड़ीय सुख बढ़ गया है,उतनी ही जड़ीय सुख…

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आस्था का प्रमाण?

आज मैं कई दिनों बाद अपने पाठकों के लिए कुछ लिख रही हूँ।इतने अन्तराल के बाद मिलने की मुझे बहुत ख़ुशी है ।मेरे इतने दिनों तक आपके साथ संवाद न कर पाने का कारण शायद आप समझ गये होंगे क्योंकि आज बिलकुल नए रूप और कलेवर में आपकी website खुली होगी।इसी प्रयास में मैं कुछ…

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