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‘संस्कृत दिन’ है लेकिन दीन नहीं

"भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” अर्थात् संस्कृति का मूल संस्कृतभाषा है। संस्कृत भाषा ही भारतीय संस्कृति का आदिस्रोत है। संस्कृत भाषा में ही भारत के सांस्कृतिक विचार, उच्चादर्श और नैतिक मूल्य समाहित हैं। आज 'संस्कृत दिवस' है।इस अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।आज हम मिलेंगे डॉ. अमृतलाल गौरीशंकर भोगायता जी से, जो ब्रह्मर्षि संस्कृत महाविद्यालय…

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राष्ट्रवाद की आवाज़

                - अजय "आवारा" आज हमारी स्वतंत्रता का 75वां राष्ट्रीय पर्व है। 15 अगस्त, हमारे लिए तारीख मात्र नहीं, अपितु एक भावनात्मक जुड़ाव भी है। यह वह दिन है, जिस दिन हमको अपने भारतीय होने पर गर्व होता है। पर क्या, 15 अगस्त पर ही भारतीय होने का…

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विश्व का एकमात्र अंक काव्य : सिरि भूवलय

https://chubhan.today/wp-content/uploads/2021/08/siri-bhuvalay.mp3 - डॉ.स्वर्ण ज्योति भाषा विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम है। मानव का मानव से संपर्क माध्यम है भाषा। किंतु भाषा क्या है? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? मानव ध्वनि संकेतों के सहारे अपने भावों और विचारों की अभिव्यक्ति करने के लिए जिस माध्यम को अपनाता है उसे भाषा की संज्ञा दी जाती है। भाषा शब्द संस्कृत…

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कश्मीरी पंडित : शरणार्थी अपने देश में

https://chubhan.today/wp-content/uploads/2021/07/mahesh-kaul-poora.mp3 जम्मू-कश्मीर में जो भी हुआ या हो रहा है, उसके बारे में हम सभी कुछ न कुछ जानते ही हैं परंतु यह भी अटल सत्य है कि जो भी परिस्थितियां बनीं और आज तक कायम हैं, उसमें हमारी भी गलतियां हैं।कश्मीर क्या था और क्या बन गया है, यह तो किसी से भी छुपा नहीं…

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आवारा की बातें

"कुछ बातें प्रेमचंद की"                        - अजय यादव    प्रेमचंद के जन्मोत्सव पर, आनेकों अनेक कार्यक्रम किए जाते रहे हैं, परंतु, ऐसा प्रतीत सोता है, कि हम वृहद आकाश को एक मुट्ठी में समेटने का प्रयास कर रहे हैं। हम प्रेमचंद के साहित्य पर कितने भी…

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संस्कृत और गुजराती भाषा का सहसंबंध

https://chubhan.today/wp-content/uploads/2021/07/sanskrit-aur-gujrati-ka-sambandh-bhavprakash.mp3 लेखक - डॉ. भावप्रकाश गांधी "सहृदय" सहायक प्राध्यापक -संस्कृत, सरकारी विनयन कॉलेज गांधीनगर, गुजरात मनुष्य अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करने के लिए जिस सार्थक मौलिक साधन का उपयोग करता है उसको हम भाषा कहते हैं । भाष भाषणे इस धातु से भाषा शब्द की निष्पत्ति होती है । इस आधार पर हम यह कह…

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पद्मश्री कलीमुल्लाह खां साहब से एक मुलाक़ात

https://chubhan.today/wp-content/uploads/2021/07/kaleemullah-khan-old.mp3 "ये माना ज़िंदगी है चार दिन की बहुत होते हैं यारों चार दिन भी।" -फिराक़ गोरखपुरी वास्तव में ज़िंदगी होती तो चार ही दिन की है और चार दिन होते भी काफी हैं,परंतु हममें से ज़्यादातर लोग उसमें से दो दिन तो यह सोचने में गुज़ार देते हैं कि हमें करना क्या है ? बाकी बचे दो दिन…

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कोरोना योद्धा शोरी जी के जज़्बे को सलाम

https://chubhan.today/wp-content/uploads/2021/07/shori-ji-wife.mp3 "अंत में मित्रों इतना ही कहूंगा कि अंत महज़ एक मुहावरा है जिसे शब्द हमेशा अपने विस्फोट से उड़ा देते हैं और बचा रहता है हर बार वही एक कच्चा-सा आदिम मिट्टी जैसा ताज़ा आरम्भ जहां से हर चीज़ फिर से शुरू हो सकती है।" - केदारनाथ सिंह इन पंक्तियों को मैं हमेशा याद रखती हूं, इनमें जीवन का सार छुपा है।सच में 'अंत' तो कुछ…

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रंगमंच:एक विमर्श

https://chubhan.today/wp-content/uploads/2021/07/PRABHAT-BOSE.mp3 "लाई हयात, आए, क़ज़ा ले चली, चले अपनी खुशी न आए न अपनी ख़ुशी चले बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे पर क्या करें जो काम न बे-दिल्लगी चले कम होंगे इस बिसात पे हम जैसे बद-किमार जो चाल हम चले सो निहायत बुरी चले हो उम्रे-ख़िज़्र भी तो भी कहेंगे ब-वक़्ते-मर्ग हम क्या रहे यहां अभी आए…

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स्त्री की धरती, स्त्री का आसमान

"चुभन पॉडकास्ट" https://www.chubhantoday.com/wp-content/uploads/2021/06/Anuj-jayaswal.mp3 अनुज जायसवाल "वह ऊष्मा है ऊर्जा है प्रकृति है पृथ्वी है क्योंकि - वही तो आधी दुनिया और पूरी स्त्री है।" -डॉ. शरद सिंह महिला सशक्तिकरण और इससे जुड़े तमाम विषयों पर 'चुभन' से प्रायः कई पोस्ट प्रकाशित होती रहती हैं और कई विद्वान-विदुषी व्यक्तित्व इस विषय पर आकर अपने-अपने विचार हमारे पाठकों और पॉडकास्ट पर श्रोताओं के लिए प्रस्तुत करते रहते हैं।आपको स्मरण ही होगा…

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