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महिला सम्मान की प्रतीक पुलिस अधिकारी डॉ. सत्या सिंह जी से एक विशेष मुलाक़ात

” उसने फेंके मुझ पर पत्थर
और मैं पानी की तरह
और ऊंचा,और ऊंचा
और ऊंचा उठ गया।”

प्रसिद्ध कवि कुंवर बेचैन जी की इन पंक्तियों के भाव को सार्थक कर दिया है, उस शख्सियत ने,जिनके बारे में आज हम बात करेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस अधिकारी रहीं डॉ. सत्या सिंह जी के नाम को कौन नहीं जानता है?पूरे उत्तर प्रदेश में वे सबकी दीदी हैं।इंडियन एक्सप्रेस की तरफ से 2017 में उन्हें ‘देवी अवार्ड’ से जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सम्मानित किया तो मंच से ही योगी जी ने यह कहा कि उत्तर प्रदेश के सारे लड़के और लड़कियां अपने को सुरक्षित पाते हैं क्योंकि उनकी सत्या दीदी उनके साथ हैं।इस अवार्ड के लिए जब सर्वे हुआ तो जो टाइटल आपको मिला, उससे ही उनके व्यक्तित्व और उन्हें मिलने वाले प्यार और सम्मान को समझा जा सकता है और वह टाइटल था, ‘अक्का राखी दीदी’ ।

ऐसे ही नही आज इतने लोगों की वे आदर्श हैं।बचपन से ही विपरीत परिस्थितियों में रहकर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और शुरू में मैंने जो कुंवर बेचैन जी की पंक्तियां दी हैं, उनको चरितार्थ किया।वास्तव में उनके ऊपर जितनी भी बाधाएं आईं,हर बाधा ने उन्हें ऊंचा और ऊंचा और ऊंचा ही उठाया।
गांव से संबंध रखने वाली ईमानदार महिला पुलिस अधिकारी सत्या सिंह जी के माता-पिता ने बचपन में ही दुनिया को छोड़ दिया।जब वे मात्र डेढ़ वर्ष की थीं,तब ही उनकी मां का देहावसान हो गया था।उस समय गांव में लड़कियों को पढ़ाना-लिखाना अच्छा नहीं समझा जाता था।आपके पिता शिक्षक थे।मां की मौत के बाद आपने घर पर ही रहकर पढ़ाई की,प्राइमरी में नहीं पढ़ा और सीधे क्लास 6 में आपका प्रवेश हुआ।आपके पिताजी चाहते थे कि बी टी सी करके किसी स्कूल में अध्यापिका बन जाएं परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था।जब वे इंटरमीडिएट में गईं, तब उनके पिताजी का भी देहांत हो गया।अपने पिता को याद करते हुए आपने भावुक होकर बताया कि “पिताजी के साथ जब मैं स्कूल जाती थी तो गांव में लोग कहते थे, ‘बबुआ हैं, पढ़ के नौकरी करिहैं’।”


आपने स्कॉलरशिप लेकर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी।
नौकरी से पहले आपने एम.ए मनोविज्ञान से किया था। उसके बाद एम. ए.समाजशास्त्र , एलएलबी , एमबीए और एमएसडब्ल्यू. किया।कुछ कर गुजरने की ललक इंसान को कहां से कहां पहुंचा देती है, इसकी मिसाल है आपका व्यक्तित्व।
जब तक वे उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस अधिकारी रहीं,तब तक उनकी छवि ईमानदार और सबकी मदद करने वाली महिला अधिकारी की रही।उनका कहना है कि “मैं एक पुलिस अफसर हूं और हर वह इंसान जो मुश्किल में होता है, उसकी मदद करना मेरा फ़र्ज़ है।इसीलिए मैंने अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक रूप से सबको दे रखा है।बहुत सारी लड़कियां हैं जो मुझे राखी बांधती हैं,यह कहकर कि मैं उनकी हिफाज़त करती हूं।”

आपको सम्मान स्वरूप मिले मेडल, प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कारों से एक कमरा भरा हुआ है।आप ताइक्वांडो चैंपियन भी हैं।आप महिला सम्मान प्रकोष्ठ में रहीं।जहां सबका सम्मान भी और सुरक्षा भी ,यही उद्देश्य था।
पुलिस विभाग से रिटायर होने के बाद सत्या सिंह जी ने लेखन कार्य आरंभ किया।आपकी 4 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।जिनके नाम हैं-
‘मेरी अग्निवीणा’, ‘हाइकू संग्रह’, ‘भारतीय कानून में महिलाओं के अधिकार’ और ‘अनाम पातियाँ’।
आपका कहना है कि “अब साहित्य के ज़रिए समाज की सेवा करनी है।”
‘भारतीय कानून में महिलाओं के अधिकार’ आपकी बहुत ही चर्चित पुस्तक है।
संघर्षशील व्यक्ति के लिए जीवन एक कभी न समाप्त होने वाले समारोह की तरह होता है और इस बात का प्रमाण सत्या जी को देखकर अपने आप ही हो जाता है।मैनें जब भी उन्हें देखा है, उनके चेहरे में हमेशा मुस्कुराहट को पाया है और उसके साथ ही उनके गौरवपूर्ण चेहरे पर स्नेह और वात्सल्य के भाव को हमेशा ही देखा जा सकता है।तभी तो वे सभी की प्यारी अक्का राखी दीदी हैं।मैंने जब उनसे पूछा कि आप हर परिस्थिति में कैसे इतना मुस्कुराते रहते हो? तो आपका जवाब था, “मुस्कुराते रहना ज़िंदगी का हिस्सा है।”
उनका न सिर्फ कहना है बल्कि वे करती भी हैं कि किसी को कभी भी ज़रूरत पड़े तो 24 घंटे वे उसकी मदद और सलाह देने के लिए तत्पर रहती हैं।कोई भी उन्हें 24 घंटे में किसी भी समय मदद के लिए फोन कर सकता है।विशेष रूप से वे विद्यार्थियों के लिए हर समय मदद को तैयार रहती हैं क्योंकि उनका मानना है कि यही लोग हमारे देश का भविष्य हैं।
उन्होंने मुझसे बात करते हुए कहा कि “जो लोग डिप्रेशन में हैं और आत्महत्या तक करने की सोच रहे हैं, वे भी अगर एक बार मुझसे मिल लें तो अपना इरादा बदल लेंगे।”
यह जज़्बा है, सकारात्मक ऊर्जा का।सच में ऐसे लोग ही मिसाल होते हैं।उन्हें देखकर,सुनकर,मिलकर एक बात ही कही जा सकती है-

“मंज़िल पर पहुंचना नहीं कोई कमाल
मंज़िल पर पहुंचकर ठहरना कमाल होता है।”

2 thoughts on “महिला सम्मान की प्रतीक पुलिस अधिकारी डॉ. सत्या सिंह जी से एक विशेष मुलाक़ात

  1. मैम आपको सुनकर हम आपसे प्रेरणा ले रहे हैं।मैं भी आपके जैसी हिम्मत से जीना चाहती हूं।

  2. डॉ० सत्या सिंह का जीवन पूरे भारतीय समाज के लिए गौरव का विषय हैं, उनका काम के प्रति समर्पण, निडरता और समाज हित में किये गये कार्य समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणादायी हैं।

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