श्री राम एक युग विशेष के प्रतिनिधि न होकर, युग-युग के प्रतिनिधि हैं।उनका संघर्षपूर्ण चरित्र हमें कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है।
एक बात सत्य है कि भारतीय चिंतन-धारा को, जिन दो महान व्यक्तित्व ने सर्वाधिक प्रभावित किया है वे श्रीकृष्ण तथा श्री राम के व्यक्तित्व हैं।इन दो लोक नायकों के गरिमायुक्त, लोकोत्तर, अप्रतिम व्यक्तित्व ने भारतीय संस्कृति को कालजयी बनाकर विश्व की प्राचीनतम संस्कृति के रूप में सुरक्षित रखने में अपूर्व सफलता पाई है।विश्व कल्याण तथा मानवता की उच्चतम अवधारणा ने,न केवल भारतीय चिंतन-धारा को ही, अपितु समस्त विश्व के मानव को प्रभावित किया है।भारतीय जन-मानस की उदात्त मानवीय चेतना से युक्त, इन दो युग-पुरुषों के व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों ने भारतीय वांग्मय की विभिन्न भाव-भूमियों को अनंत सृजनात्मक प्रेरणा प्रदान की है।
शबिस्ता जी के चुनमुन मंदिर से श्री राम दरबार का चित्र।
कवि,लेखक,दार्शनिक,योगी,संत,विचारक एवं राजनीतिज्ञ, सभी इन महापुरुषों के अलौकिक व्यक्तित्व से संपन्न महान चरित्र को अपना आदर्श मानकर उनकी ओर समान रूप से आकर्षित हुए।किसी ने इन्हें काव्य का विषय बनाया तो किसी ने इनके वैविध्यपूर्ण आदर्श चरित्र को अपनी व्याख्या तथा तात्विक विवेचन का, और किसी ने दार्शनिक चिंतन का आधार बनाकर इनके नाम,रूप आदि पर विस्तृत विचार किया।कवि-कल्पना से लेकर दार्शनिक चिंतन तक श्रीकृष्ण और श्री राम भारतीय वांग्मय के आदर्श चरित्र नायक तथा गूढ़ तात्विक चिंतन के विषय रहे हैं।
नर्मदेश्वर शिव लिंग, जिस पर प्राकृतिक रूप से बाल हनुमान का चित्र अंकित है।( चुनमुन मंदिर से साभार)
जिनके चरित्र के माध्यम से मोक्ष तक की महत्वपूर्ण उपलब्धि की बात कही गयी हो और जिन्हें भारतीय जीवन-दर्शन ने अवतार की संज्ञा दी हो, ऐसे चरित्र का आज हमारे देश में जैसे राजनीतिकरण किया जा रहा है, वह दिल में चुभन का एहसास पैदा करता है।
आज रामनवमी के पावन पर्व पर क्यों न कुछ ऐसे ही चुभते हुए मुद्दों पर एक सार्थक संवाद किया जाए।आज हमारे साथ चुभन पॉडकास्ट पर लोकप्रिय कवयित्री और विदुषी साहित्यकार शबिस्ता बृजेश जी होंगी।आप सब उनके साथ हुए पूरे संवाद को पॉडकास्ट पर सुनें।