पद्मश्री कलीमुल्लाह खान साहब के साथ कुछ पल…..
आज मैं जिनसे आपको मिलवाने जा रही हूं, वे हैं मैंगो मैन के नाम से दुनिया भर में मशहूर पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खां साहब।
खान साहब के साथ बातचीत के कुछ अंश।
मुझे खान साहब के साथ बातचीत का अवसर तो मिला ही, साथ ही उन्होंने बड़े स्नेह से हमें अब्दुल्ला नर्सरी के एक एक पेड़ से मिलवाया,उनसे बातचीत की. आप को शायद थोड़ा आश्चर्य हुआ हो मेरी बात से परंतु उनके लिए उनके बाग का एक एक पेड़ उनके बच्चे के समान है और जितनी देर हम उनके साथ रहे, हमें भी ऐसा लगा जैसे हर वृक्ष कुछ कह रहा हो।उन्होंने एक ही पेड़ पर नई ग्राफ्टिंग तकनीक के द्वारा आम की लगभग 300 से अधिक किस्मों को उगाया है।
नीचे दिए वीडियो में उनके इस ख़ास पेड़ को देखिए, जिसे देश ही नही विदेश से भी लोग देखने आते हैं। यह पेड़ नही, आमों का बाग है।
विश्वप्रसिद्ध “अब्दुल्ला नर्सरी” में खान साहब के साथ कुछ पल।
हम लोग तो पूरा जीवन भर आम के आम इंसान ही रह जाते हैं, परंतु उत्तर प्रदेश के लखनऊ के निकट मलीहाबाद में रहने वाले कलीमुल्लाह खां साहब ने ‘आम’ से ही स्वयं को ख़ास बना लिया।आपने एक ऐसा आम का पेड़ तैयार किया है, जिसे दूर से देखने पर तो वह पेड़ ही दिखेगा, परंतु उन्होंने बताया कि अगर करीब से देखा जाए तो वह एक बाग दिखाई देगा।उन्होंने कहा कि यह एक पेड़ भी है, बाग भी है और दुनिया का आमों का कॉलेज भी है।उन्होंने एक पेड़ पर 25000 आम लगाए हैं, जो अलग-अलग किस्मों के हैं।
आपके अनुसार मलीहाबाद की अब्दुल्ला नर्सरी में जो यह पेड़ है, वह दुनिया मे आमों का कॉलेज है, परंतु खां साहब से बात करके ऐसा लगता है कि वे स्वयं में ही एक संस्था हैं, जिनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
उनके इस हुनर के लिए ही उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया जा चुका है और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आपको ‘उद्यान पंडित’ का सम्मान भी मिल चुका है।इसके अलावा भी वे कई सम्मानों से सम्मानित किए जा चुके हैं।
आपने “कलीम दशहरी” के नाम पर दशहरी आम की एक अलग किस्म विकसित की क्योंकि आपका कहना है कि दशहरी आम हमारे देश ही नही बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला आम है।
आपसे मिलकर मुझे ऐसा लगा कि इतने हुनरमंद होने के अलावा वे एक बहुत ही अच्छा दिल भी रखते हैं।दुनिया में अमन चैन कायम रहे, इसके लिए उन्होंने बहुत सी बातें कीं।उनके अनुसार दुनिया ने हर क्षेत्र में बहुत तरक्की की है लेकिन सच्चाई यह भी है कि तबाही के मामले में भी हमने बहुत तरक्की की है, जो गलत है।
कलीमुल्लाह खां साहब कहते हैं कि आम के अंदर वह विशेषता है जो इंसान में होती है।दो से मिलकर एक होना ही इसकी विशेषता है जैसे दुनिया में कोई दो इंसान एक से नहीं होते, उनके चेहरे, यहां तक कि एक-एक नस तक अलग होती है, वैसे ही आम की भी फितरत होती है।वे थोड़ा दुखी और चिंतित दिखाई दिए कि वैज्ञानिक और रिसर्च करने वाले लोग क्यों नही इन बातों पर ध्यान देते?उनके अनुसार जिस प्रकार इंसान दो से एक बनते हैं, वैसे ही आम की भी फितरत है।दो फूल और दो तरह के पेड़ मिलकर एक नए किस्म के आम को जन्म देते हैं।
आपके अनुसार आम से कई बीमारियों का इलाज भी किया जा सकता है।वे चाहते हैं कि रिसर्च द्वारा एक बार फिर से देसी इलाज को बढ़ावा मिलना चाहिए।वे इतना ज्यादा आमों को समझ चुके हैं कि कह सकते हैं कि आम उनके बच्चों के समान हैं। उनका कहना है कि पानी की कमी के बावजूद ऊसर भूमि में आम के पेड़ लगाकर आम की फसल की जा सकती है और इससे चारों तरफ हरियाली ही हरियाली होगी।
सच में उनसे बात करके मुझे ऐसा ही लगा कि इतनी मोहब्बत इंसानों से और अपने देश से करने वाले वे शायद ऐसे शख्स हैं, जिनके जैसे बहुत कम लोग होंगे।
इस उम्र में भी उनके अंदर वह जोश, वह जज़्बा है कि वे सपना देख रहे हैं एक ऐसी दुनिया का जिसमें अमन-शांति हो और कहीं भी गरीबी न हो तथा क़ुदरत के साथ भी खिलवाड़ न हो, ऊसर भूमि को भी उपजाऊ बना देने का सपना रखने वाले इस शख़्स को ‘चुभन’ का सलाम।
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