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कारगिल विजय दिवस

26 जुलाई का दिन हममें से किसी को भी नहीं भूलना चाहिए।आज का दिन ‘विजय दिवस’ या ‘कारगिल शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।वैसे तो कारगिल युद्ध मई 1999 के पहले सप्ताह से प्रारंभ होकर 26 जुलाई  1999 तक चला।दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में लड़े गये कारगिल युद्ध को जीतने में जांबाजों के पराक्रम का लोहा दुनिया ने माना।तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और रक्षा मंत्री श्री जॉर्ज फ़र्नाडीज भी जवानों का हौसला बढ़ाने के लिए 13 जून 1999 को खुद रणभूमि में पहुंचे।ऐसे में उनको निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान की ओर से जमकर फायरिंग हुई।इसके बावजूद प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री को शहर के जांबाज़ कर्नल जीपीएस कौशिक ने रणभूमि के उस हिस्से तक पहुँचाया जहाँ से युद्ध की पूरी योजना बनाई गई।कर्नल कौशिक ने कारगिल युद्ध के दौरान कुल 3500 ऑपरेशनों को सफलता से अंजाम दिया।जवानों को ऊंची चोटियों तक चीता हेलीकाप्टर से पहुँचाया गया।आयुध और रसद की आपूर्ति बहाल रखने में अहम भूमिका निभाई।उनकी आर्मी एविएशन यूनिट को इस जांबाज़ी के लिए 30 से ज़्यादा वीरता पदक मिले।

कहते हैं कि पाकिस्तान जब जंग हार रहा था तो वह अमेरिका के पास गया और कहा कि भारतीय सेना ने उसकी सरज़मीं पर कब्ज़ा कर लिया है।इस बात की पड़ताल करने के लिए अमेरिका ने अपने सीनेटर डॉन बाउन्सकी को भेजा।उन्होंने कारगिल में लगभग 100 किलोमीटर तक रेकी की।उन्होंने इस पड़ताल से यह पाया कि पाकिस्तानी सेना सात से दस किलोमीटर भारतीय सीमा के भीतर प्रवेश कर गई है।इसकी रिपोर्ट उन्होंने अमेरिका की सीनेट में सौंपी,जिससे पाकिस्तानी झूठ का पता पूरी दुनिया को लगा।

कारगिल युद्ध के गौरवशाली 20 साल बीत गये हैं,लेकिन देशप्रेम की भावनाएं और शहीदों की क़ुरबानी की दास्तान आज भी हमें भावविभोर कर देती है। आज इस अवसर पर हम पूरे भारत देश के सभी शहीदों को शत-शत नमन करते हैं।कारगिल युद्ध में उत्तर प्रदेश के 87 वीर सपूत शहीद हुए।हमारे लखनऊ के भी कई वीर सपूत इस युद्ध में शामिल थे।शहीद कैप्टेन मनोज पाण्डेय को कौन भुला सकता है?उन्होंने अपने प्राणों की परवाह न करके घुसपैठियों को मार भगाया।इस वीरता के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

लखनऊ की सभ्यता और संस्कृति ऐसी है कि विश्व का शायद यह एक मात्र ऐसा शहर है जहाँ विश्व के किसी भी कोने से,किसी भी शहर से कोई भी आया हो उसने एक ही बात बोली कि इस शहर जैसा कोई भी नहीं।एक और बात जो इस भूमि को पावन बनाती है वह यह कि यहाँ कई जांबाजों ने देश के लिए समय-समय पर अपनी शहादत भी दी।काकोरी काण्ड के शहीदों को भला कौन भूल सकता है?इसी तरह कारगिल युद्ध में शहीद हुए सुनील जंग को भी हम कैसे भुला सकते हैं?वे इन्फेंट्री गोरखा राइफल्स के जवान थे।रायफलमैन सुनील जंग को 10 मई 1999 को उनकी 1/11 गोरखा रायफल्स की एक टुकड़ी के साथ कारगिल सेक्टर पहुँचने के आदेश हुए।तीन दिनों तक वे दुश्मनों का डटकर मुकाबला करते रहे और 15 मई को एक भीषण गोलीबारी में कुछ गोलियां उनके सीने में जा लगीं।इस पर भी सुनील के हाथ से बन्दूक नहीं छूटी और वह लगातार दुश्मनों पर प्रहार करते रहे।इतने में ऊंचाई पर बैठे दुश्मन की एक गोली सुनील के चेहरे पर लगी और सिर के पिछले हिस्से से बाहर निकल गई और यह वीर सैनिक वहीँ पर शहीद हो गया।

इस ऐतिहासिक दिन को हमें कभी भी भुलाना नहीं चाहिए।क्योंकि हमारी सेना के जांबाज़ सैनिकों ने लगातार 60 दिन की लड़ाई के बाद लद्दाख क्षेत्र से लेकर हिमालय तक अत्यंत दुर्गम और जोखिम से भरे गगनचुम्बी चोटियों पर स्थित चौकियों पर सफलता पूर्वक फतह हासिल की।इस तरह के दिन जब हम मनाते हैं तो हमें एक बात ज़रूर दिल में याद रखनी चाहिए कि हम तो विजय का जश्न मना रहे हैं और इन शहीदों की वीर गाथा गा रहे हैं जिसके कारण आज हम सुरक्षित और खुशहाल होकर बैठे हैं लेकिन इस तरह की खुशियाँ हमें दिलाने वाले भी हमारी आपकी तरह हाड़-मांस के पुतले ही होते हैं जो अपनी धरती माँ की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने में एक पल भी नहीं गंवाते और नमन है उनके घर वालों को जो पूरा जीवन बस शहीद हुए अपने बेटे या भाई या पिता या पति….की तस्वीर के साथ ही गुजार देते हैं।

“जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।”

सच में माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक कल्याण करने वाली हैं।इन वीरों के अन्दर सिर्फ यही जज़्बा कूट-कूट कर भरा होता है।वे न दिन देखते हैं न रात बस भारत माँ के कल्याण के लिए जुटे रहते हैं।आज के दिन पूरे भारत देश के जितने भी वीर सपूत कारगिल युद्ध में शहीद हुए उनको मेरे और मेरे सभी पाठकों की ओर से श्रद्धा पूर्ण श्रद्धांजलि।

                        

3 thoughts on “कारगिल विजय दिवस

  1. जय हो! भारत माता की जय!
    शहीद जवानों को शत शत प्रणाम🙏 मात्र 21 वर्ष की अवस्था में कैप्टन मनोज शहीद हो गए।वीर जाँबाज की माँ के अश्रु आज भी नहीं सूखे हैं।उन सभी शहीदों के घरवालों को नमन।कारगिल दिवस पर आज आपके आलेख की प्रस्तुति के लिए आपको भी स्नेहाशीष।आप ‘वाणी और अर्थ’ की साधना द्वारा यश प्राप्त करें।

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