Chubhan Today

इल्हाम (ईश्वरीय कृपा)

कवि की पहचान, कवि की कलम से-                   -कमल किशोर राजपूत सर्वप्रथम सुरक्षित बचपन की संक्षिप्त यात्रा: ​भारत की आध्यात्मिक नगरी देवास में जन्मा, पड़ोसी बुआ ने “कमल” नाम रखवाया जो बहुत काम आया, संयोग से कमल भारतीय अध्यात्मवाद का प्रतीक भी है। पंक का कमल के…

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नारी तेरे जितने रंग, होली के भी उतने रंग

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एवं होली विशेष ✍?अपनी साँसों में मेरी, धड़कनें समाये हुए। ✍?वजूद अपना ही खुद,दाँव पे लगाये हुए॥ ✍?सँभल सँभल के क़दम,वो ज़मीं पे रखती थी। ✍?मुझ को नौ माह तक,माँ कोख में छुपाये हुए॥                       -डॉ. सागर त्रिपाठी मां….उसका जीवन में क्या…

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बिखरते परिवार, लुप्त होती परंपराएं

आमतौर पर, हमें लगता है कि परिवार रिश्तो का बंधन है। परिवार रिश्तों में कर्तव्य एवं अधिकारों की व्यवस्था है। परंतु ऐसा नहीं है। वस्तुतः परिवार की नींव दो ऐसे लोगों के संबंध एवं मिलन से पड़ती है जो एक दूसरे से बिल्कुल अनजान होते हैं। तब हम किस आधार पर परिवार को रिश्तो की…

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होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में अपार संभावनाएं

“कतरा था एक फिर भी समंदर लिखा गया , रहजन को इतिहास में रहबर लिखा गया, एकलव्य का अंगूठा सुनो काट कर यहां, अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर लिखा गया।” कई बार ऐसा होता है कि किसी एक को आगे बढ़ाने के लिए हम दूसरे की जाने- अनजाने इतनी उपेक्षा कर जाते हैं कि या तो…

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शिव भक्ति पथ – लिंगायत

लिंगायत मत भारतवर्ष के प्राचीनतम सनातन हिन्दू धर्म का एक हिस्सा है। इस मत के ज्यादातर अनुयायी दक्षिण भारत में हैं। यह मत भगवान शिव की स्तुति आराधना पर आधारित है। भगवान शिव जो सत्य, सुंदर और सनातन हैं, जिनसे सृष्टि का उद्गार हुआ, जो आदि अनंत हैं। हिन्दू धर्म में त्रिदेवों का वर्णन है…

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उल्लास और सामाजिक समरसता का महापर्व:दीपावली

उल्लास और समृद्धि के महापर्व दीपावली की मेरे सभी पाठकों को हार्दिक बधाई।ईश्वर हम सबको अज्ञान से ज्ञान की ओर,अशुभ से शुभ की ओर तथा अँधेरे से प्रकाश की ओर जाने का मार्ग दिखाएँ। दीवाली ही एकमात्र ऐसा पर्व है,जो भारत में सर्वत्र मनाया जाता है।हिमालय से कन्याकुमारी और गुजरात से असम तक सैकड़ों छोटे-बड़े…

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बहुआयामी रंग लिए एक व्यक्तित्व

आज हम बंगलुरू की डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी के बारे में बात करेंगे, जो कि एक कवयित्री, साहित्यकार, समीक्षक, कलाकार ,विचारक ,जीवन प्रशिक्षक, प्रोफेसर, अनुवादक , दार्शनिक, संस्थापक अध्यक्ष इत्यादि अनेक रूपों में हमारे सामने आती है, अनेकों सम्मान और पुरस्कारों से आपकी रचनाओं और कार्यों  को सराहा गया है। परंतु अपना परिचय वे स्वयं…

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सबका सम्मान, अपना अपमान

                         – अजय ‘आवारा’ इतना तो सब कहते हैं कि हमें अपनी परंपराओं पर अभिमान करना चाहिए। यह भी सब मानते हैं कि हमें अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए। इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि हमें अन्य संस्कृति, सभ्यता एवं…

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हिन्दी-दिवस

पारंम्परिक तौर पर हम हिंदी दिवस प्रतिवर्ष मनाते हैं। सवाल यह है कि इतने वर्षों के बाद हिंदी कहां तक पंहुची है? भारतवर्ष में हिंदी की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या हिंदी वास्तव में हमारे सांस्कृतिक मोतियों को पिरोने वाला सूत्र बन गई है? ऐसे अनेक सवाल हैं जिनके उत्तर अभी भी अज्ञात हैं। आइए…

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अधूरी आज़ादी

             -रामेंद्र सिंह चौहान,         संपादक डी डी न्यूज़ लखनऊ बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है। कैसे उल्लास मनाऊँ मैं, थोड़े दिन की मजबूरी है॥ दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे। गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥ यह सपना…

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