महिला दिवस:उपासना नहीं सम्मान दो ðलिंक को क्लिक करें। द्वारा:अजय “आवारा” जी International Women’s Day special: Curtain Raiser आगामी ८ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) की बेला है। इस उपलक्ष में “चुभन” महिलाओं पर कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित कर रहा है ,जहां हमें सम्मानित व्यक्तिव को जानने का अवसर मिलेगा […]
Author: Chubhan Today
अनुभूति के कवि अजय “आवारा” जी
लोग साहित्य लिखते हैं। गीत, कविता और कहानियां लिखते हैं। पर, क्या कोई दिल की बात लिखता है? क्या आपने अपने भीतर की पुकार सुनी है? शायद हम इन सब बातों से अनजान ही रह जाते हैं। हमारी खुद की पहचान चीखती रह जाती है। चलिए आज उन आवाजों को सुनने की कोशिश करते हैं। […]
मेजर जनरल ए.के. शोरी जी की पुस्तक ‘Invisible Shades of Ramayana’ पर एक संवाद (भाग-2)
आप सब जानते ही हैं कि आजकल हमने मेजर जनरल अमिल कुमार शोरी जी की पुस्तक ‘Invisible Shades of Ramayana’ पर एक श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम आरम्भ किया है, जिसका पहला भाग आप पिछले हफ्ते पढ़ चुके हैं और आज उसका दूसरा भाग हमारे पॉडकास्ट से प्रसारित किया जाएगा। शोरी जी की यह पुस्तक आदिकवि महर्षि वाल्मीकि […]
बहुभाषी साहित्य का संगम बिंदु – डॉ. स्वर्ण ज्योति
भाषा के चिंतन की सार्थकता सिर्फ संवाद मात्र से सिद्ध नहीं हो जाती। जब तक साहित्य के मंथन से भाषा मथी न जाए, तब तक भाषा का सौन्दर्य निखर कर सामने नहीं आता है। यह भारतीय साहित्य का सौभाग्य है कि भाषाओं के जितने भेद, भारत वर्ष में पाए जाते हैं, संभवतः किसी और देश […]
मेजर जनरल ए.के.शोरी जी की पुस्तक ‘Invisible Shades of Ramayana’ पर एक संवाद(भाग 1)
“कौन सी बात कहां,कैसे कही जाती है। यह सलीका हो तो ,हर बात सुनी जाती है।” प्रसिद्ध शायर वसीम बरेलवी जी ने इस शेर में जो बात कहनी चाही है, वह हम सभी पर कभी न कभी सटीक बैठती है, क्योंकि हममें से अधिकांश लोगों की यह समस्या होती है कि हम तो अपनी बात […]
कबीर और तिरुवल्लुवर:साहित्य की समानताएं
भाषा का महत्व उसके साहित्य से आंका जाता है। अगर हम यह कहें, कि वास्तव में साहित्य भाषा का श्रृंगार है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हम इस बात को भी नहीं नकार सकते कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब एवं दिशा सूचक भी होता है। साहित्य ने हमेशा किसी भी काल एवं क्षेत्र के समाज […]
तमिल साहित्य:उद्गम और विकास
यह एक कौतुहल भरा सवाल हो सकता है, कि विश्व की प्राचीनतम भाषा की सूची में कौन-कौन सी भाषाएं आती हैं। क्या हम यह मानकर गलती नहीं कर रहे, कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जनक है। जब हम प्राचीनतम भाषाओं की बात करते हैं तो ग्रीक एवं अन्य भाषाओं की सूची एका एक मस्तिष्क […]
महिला सम्मान की प्रतीक पुलिस अधिकारी डॉ. सत्या सिंह जी से एक विशेष मुलाक़ात
” उसने फेंके मुझ पर पत्थर और मैं पानी की तरह और ऊंचा,और ऊंचा और ऊंचा उठ गया।” प्रसिद्ध कवि कुंवर बेचैन जी की इन पंक्तियों के भाव को सार्थक कर दिया है, उस शख्सियत ने,जिनके बारे में आज हम बात करेंगे। उत्तर प्रदेश सरकार में पुलिस अधिकारी रहीं डॉ. सत्या सिंह जी के नाम […]
कन्नड़ साहित्य में राष्ट्रवाद:गणतंत्र दिवस पर विशेष
विभिन्न काल के रूप में समय का बदलना अनिवार्य एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसे हमारी मजबूरी समझिए या नियति। जो समय की चाल से पिछड़ गया वह समाज द्वारा भुला दिया गया है। ऐसी स्थिति में यह अनिवार्य हो जाता है कि हम समय की चाल के साथ चलते जाएं। आदिकाल से ही संचार के […]
कन्नड़ साहित्य:उद्गम एवं विकास
साहित्य को हम देश काल या भाषा की हदों से नहीं बांध सकते।भाषा कोई भी हो,यदि सृजन अच्छा हुआ है तो उसे पढ़ने-सुनने से कोई रोक नही सकता। सूफी प्रेमाख्यानक काव्य के प्रवर्तक कवि मलिक मुहम्मद जायसी जी की कर्मभूमि जायस हम कई बार गए और उनकी मजार पर माथा टेका। हम उस उत्तर प्रदेश […]