कल जो भी कुछ हुआ उसके बारे में तो आप सभी भली-भांति अब तक परिचित हो गये होंगे।वास्तव में अगस्त महीने का भारत के इतिहास में विशेष महत्व रहा है।चाहे वह 8 अगस्त को आरम्भ हुए ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ की बात हो या 15 अगस्त को मिली आज़ादी की।कल यानि 5 अगस्त को एक…
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ज़रा-सी आहट पर चंद्रशेखर जी की नींद टूट गई।कुछ समय तो उन्होंने शून्य में रहकर दूसरी आवाज़ आने की प्रतीक्षा की।फिर अपने मन को समझाने की कोशिश की कि हो सकता है हवा चल रही हो और पत्तियों की सरसराहट हो रही हो लेकिन मन भला कभी समझाने से समझा है,अचानक उन्हें लगा कि बगीचे…
साहित्य-क्षेत्र में प्रेमचंद के नाम से विख्यात प्रेमचंद का असली नाम धनपतराय था।हिंदी साहित्य के गगन में प्रकाशवान सूर्य की तरह भासमान प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880 में काशी के लमही ग्राम में हुआ था।उनके पिता अत्यधिक निर्धन थे।इसीलिए उनको बाल्यकाल से ही आर्थिक तंगी और विपन्नता का शिकार होना पड़ा था।साधारणतः बच्चों…
भगवान श्री कृष्ण की श्रीमद्भागवद्गीता में यह उद्घोषणा है कि जब-जब भी धर्म की हानि होती है,मैं साधुओं की रक्षा,दुष्टों के विनाश एवं धर्म की स्थापना के लिए युग-युग में अवतार लेता हूँ।चैतन्य महाप्रभु इस धरा पर जब मध्य युग में अवतरित हुए,इतिहास का वह काल ‘अंधकारमय काल’ कहा जाता है।राजनैतिक परतंत्रता,धार्मिक व सांस्कृतिक परम्पराओं…
26 जुलाई का दिन हममें से किसी को भी नहीं भूलना चाहिए।आज का दिन ‘विजय दिवस’ या ‘कारगिल शौर्य दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।वैसे तो कारगिल युद्ध मई 1999 के पहले सप्ताह से प्रारंभ होकर 26 जुलाई 1999 तक चला।दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में लड़े गये कारगिल युद्ध को जीतने में जांबाजों…
किसी भी समाज की उन्नति के लिए आवश्यक है कि उस समाज की महिलाएं अपने मज़हबों को मानते हुए भी प्रगतिशील नज़रिया रखें,परन्तु बदकिस्मती से ऐसा हुआ नहीं।औरतों को पूरी दुनिया में भेदभाव का शिकार होना पड़ा है।भारत में औरतों के संघर्ष कहीं अधिक जटिल रहे हैं और आज भी हैं।ख़ास तौर पर मुस्लिम औरतों…
निसंदेह भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन की गिनती आधुनिक समाज के सबसे बड़े आंदोलनों में की जाती है।विभिन्न विचारधाराओं और वर्गों के करोड़ो लोगों को इस आन्दोलन ने राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया और औपनिवेशिक साम्राज्य को घुटने टेकने के लिए विवश किया। 1857 के विद्रोह के सम्बन्ध में इतिहासकारों,विद्वानों और प्रशासकों…
इधर चार-पांच दिन से टेलीविजन या सोशल मीडिया में एक ही किस्सा छाया हुआ है,बरेली से भाजपा विधायक राजेश मिश्र उर्फ़ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी मिश्रा की शादी का।जिसने अजितेश नामक युवक से बिना अपने घरवालों की रजामंदी के शादी कर ली।अब यह कोई नई बात तो नहीं है।न जाने कितने युवा जोड़े बिना…
कुछ बातों की चर्चा मुझे लगता है कि बिलकुल अनर्गल होती है।उनपर बहस करना मतलब समय बर्बाद करना है।इस आधुनिक समाज में जहाँ करने को इतना कुछ है वहां छोटे-छोटे दकियानूसी विषयों या कह लें मुद्दों पर लम्बी-लम्बी बहस चलती है और समय बर्बाद किया जाता है जो निश्चित तौर पर दिल में चुभन देता…
मुझे खेद है कि ‘स्त्री त्रासदी का यथार्थ रूप भाग 2’ प्रकाशित करने मे मुझे अधिक समय लग गया।
ममता जी के शब्द जो मैंने इस लेख के प्रथम भाग में दिए हैं, कितने सटीक हैं कि प्रेम और विवाह दो अलग संसार हैं।प्रेम में भावना और विवाह में व्यवहार की ज़रूरत होती है।यही व्यवहार शायद…