आप सब जानते ही हैं कि चुभन पर हमारा प्रयास यह रहा है कि साहित्य, कला और संस्कृति के आधार पर हम पूरे देश को एक साथ लाएं, आपस में एक दूसरे के साथ भावों और विचारों का आदान-प्रदान करें। इस उद्देश्य के तहत हमने बहुत से कार्यक्रम चुभन से प्रसारित भी किये, जिन्हें आपने […]
Category: दक्षिण भारत के रंग
दक्षिण भारत के रंग
स्वर्णिम छवि
ऐसा माना जाता है, कि साहित्यकार समाज का पथ प्रदर्शक होता है। गूढ़ विषयों को सरल मानदंड लेकर आम आदमी के सामने प्रस्तुत करना, साहित्यकार के कर्तव्य में आता है। जितना उचित मंथन, उतनी ही सही दिशा समाज के लिए तय हो जाती है और जितना सटीक चिंतन, समाज की उतनी ही संतुलित मानसिकता स्थापित […]
इल्हाम (ईश्वरीय कृपा)
कवि की पहचान, कवि की कलम से- -कमल किशोर राजपूत सर्वप्रथम सुरक्षित बचपन की संक्षिप्त यात्रा: भारत की आध्यात्मिक नगरी देवास में जन्मा, पड़ोसी बुआ ने “कमल” नाम रखवाया जो बहुत काम आया, संयोग से कमल भारतीय अध्यात्मवाद का प्रतीक भी है। पंक का कमल के […]
शिव भक्ति पथ – लिंगायत
लिंगायत मत भारतवर्ष के प्राचीनतम सनातन हिन्दू धर्म का एक हिस्सा है। इस मत के ज्यादातर अनुयायी दक्षिण भारत में हैं। यह मत भगवान शिव की स्तुति आराधना पर आधारित है। भगवान शिव जो सत्य, सुंदर और सनातन हैं, जिनसे सृष्टि का उद्गार हुआ, जो आदि अनंत हैं। हिन्दू धर्म में त्रिदेवों का वर्णन है […]
संतों की भूमि, कर्नाटक की भूमि
-डॉ. श्रीलता सुरेश भारत की समृद्ध संस्कृति प्राचीन काल से हैl उच्चतम मानवीय मूल्यों को पूरे विश्व में स्थापित करने के लिए विख्यात रहा हैl भारत देश साधु-संतों का देश हैं।संत- परंपरा हमारे देश का आध्यात्मिक वैभव है।धर्म के कारण यह संतों के कार्य का मुख्य […]
विश्व का एकमात्र अंक काव्य : सिरि भूवलय
– डॉ.स्वर्ण ज्योति भाषा विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम है। मानव का मानव से संपर्क माध्यम है भाषा। किंतु भाषा क्या है? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? मानव ध्वनि संकेतों के सहारे अपने भावों और विचारों की अभिव्यक्ति करने के लिए जिस माध्यम को अपनाता है उसे भाषा की संज्ञा दी जाती है। भाषा शब्द […]
तेलुगु साहित्य-विमर्श
Telugu Sahitya Vimarsh तेलुगु भाषा का अस्तित्व कब से आरंभ हुआ, इस दिशा में जो अनुसंधान हुए हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं।जब तक निश्चित रूप से कोई प्रामाणिक सिद्धांत प्रतिपादित नहीं किया जाता, तब तक अनुमान के आधार पर किसी भाषा की उत्पत्ति का निरूपण करना न्यायसंगत न होगा।अग्निपुराण के वर्णन के आधार पर भी […]
मलयालम भाषा एवं साहित्य:उद्गम और विकास
हमारे देश के विभिन्न भागों में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं।भाषाओं की विविधता देश की एकता में कहीं भी बाधक नहीं समझी जानी चाहिए। “दस बिगहा पर पानी बदले, दस कोसन पर बानी” इस कहावत के अनुसार ‘पानी’ और ‘बानी’ की अनेकरूपता तो स्वाभाविक ही है […]
बहुभाषी साहित्य का संगम बिंदु – डॉ. स्वर्ण ज्योति
भाषा के चिंतन की सार्थकता सिर्फ संवाद मात्र से सिद्ध नहीं हो जाती। जब तक साहित्य के मंथन से भाषा मथी न जाए, तब तक भाषा का सौन्दर्य निखर कर सामने नहीं आता है। यह भारतीय साहित्य का सौभाग्य है कि भाषाओं के जितने भेद, भारत वर्ष में पाए जाते हैं, संभवतः किसी और देश […]
कबीर और तिरुवल्लुवर:साहित्य की समानताएं
भाषा का महत्व उसके साहित्य से आंका जाता है। अगर हम यह कहें, कि वास्तव में साहित्य भाषा का श्रृंगार है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हम इस बात को भी नहीं नकार सकते कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब एवं दिशा सूचक भी होता है। साहित्य ने हमेशा किसी भी काल एवं क्षेत्र के समाज […]