कहीं जाने में डर लगता है

कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जो झकझोर देती हैं,कुछ हिला देती हैं,कुछ सोचने पर मजबूर करती हैं,कुछ शर्मिंदा करती हैं,कुछ प्रश्न खड़े करती हैं,कुछ जीवन ही बदल देती हैं और भी न जाने क्या-क्या हो जाता है किसी एक घटना के हो जाने से परन्तु कोई एक घटना अगर इन सारी परिस्थितियों को तो जाने…

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कश्मीरी विस्थापितों की चुभन : सम्मानजनक वापसी

वक्त के बहाव में कभी-कभी सब कुछ बह जाता है, ढह जाता है और हम टूट कर, बिखर कर रह जाते हैं। ऐसे ही एक बहाव, एक तूफान ऐसा आया कि हमारे देश की संस्कृति का उद्गम स्थल, उसका मुकुट, भारत की शान कहे जाने वाले कश्मीर में ऐसा सब कुछ बदला कि खंडहर से…

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माँ सीता

तीन-चार दिन पहले सोशल मीडिया के माध्यम से एक गीत सुनने का अवसर मिला।जैसा कि आमतौर पर हम सभी के साथ होता है कि सोशल मीडिया के माध्यम से कोई भी गीत,कविता या सन्देश जो भी हमें प्राप्त होते हैं उन्हें हम सरसरी तौर पर सुन या देख लेते हैं परन्तु कभी-कभी ही ऐसा होता…

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बहुआयामी रंग लिए एक व्यक्तित्व

आज हम बंगलुरू की डॉ. इंदु झुनझुनवाला जी के बारे में बात करेंगे, जो कि एक कवयित्री, साहित्यकार, समीक्षक, कलाकार ,विचारक ,जीवन प्रशिक्षक, प्रोफेसर, अनुवादक , दार्शनिक, संस्थापक अध्यक्ष इत्यादि अनेक रूपों में हमारे सामने आती है, अनेकों सम्मान और पुरस्कारों से आपकी रचनाओं और कार्यों  को सराहा गया है। परंतु अपना परिचय वे स्वयं…

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बहुभाषी साहित्य का संगम बिंदु – डॉ. स्वर्ण ज्योति

भाषा के चिंतन की सार्थकता सिर्फ संवाद मात्र से सिद्ध नहीं हो जाती। जब तक साहित्य के मंथन से भाषा मथी न जाए, तब तक भाषा का सौन्दर्य निखर कर सामने नहीं आता है। यह भारतीय साहित्य का सौभाग्य है कि भाषाओं के जितने भेद, भारत वर्ष में पाए जाते हैं, संभवतः किसी और देश…

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बिसरी भारतीयता – पॉडकास्ट

                             – अजय “आवारा” यह सच है कि हमारी संस्कृति अपने आप में आकाश है। पर हम अपनी संस्कृति से कितना जुड़े हुए हैं और कितना उसे भूल चुके हैं ? क्या हम भारतीयता को सही मायनों में जी रहे हैं ?…

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