हिन्दी-दिवस

पारंम्परिक तौर पर हम हिंदी दिवस प्रतिवर्ष मनाते हैं। सवाल यह है कि इतने वर्षों के बाद हिंदी कहां तक पंहुची है? भारतवर्ष में हिंदी की वास्तविक स्थिति क्या है? क्या हिंदी वास्तव में हमारे सांस्कृतिक मोतियों को पिरोने वाला सूत्र बन गई है? ऐसे अनेक सवाल हैं जिनके उत्तर अभी भी अज्ञात हैं। आइए…

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‘द कश्मीर फाइल्स’ : दिल को झकझोरती फ़िल्म

‘द कश्मीर फाइल्स’ फ़िल्म देखकर,जो कुछ मैंने महसूस किया, वह ज़िन्दगी में पहली बार हुआ।मेरा दिमाग सुन्न हो चुका था, कुछ भी महसूस करने की जैसे शक्ति ही नहीं थी।निश्चित रूप से यह एक फ़िल्म नहीं थी, एक ऐसा सच था, जिससे सम्पूर्ण मानव-जाति को शर्मिंदा होना चाहिए। हम सभी ने तमाम कहानियां पढ़ीं हैं,जिनमें…

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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष : श्रृंखला – 2

International Women’s Day special : Part – 2 परंपरा एवं आधुनिकता की बुलंद आवाज़ अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) के अवसर पर आज जिस शख़्सियत को हम ‘चुभन’ पर आमंत्रित कर रहे हैं, वे हैं डॉ. चम्पा श्रीवास्तव जी, जिनके व्यक्तित्व को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।हिंदी साहित्य में आपके योगदान को कहने…

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कबीर और तिरुवल्लुवर:साहित्य की समानताएं

भाषा का महत्व उसके साहित्य से आंका जाता है। अगर हम यह कहें, कि वास्तव में साहित्य भाषा का श्रृंगार है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हम इस बात को भी नहीं नकार सकते कि साहित्य समाज का प्रतिबिंब एवं दिशा सूचक भी होता है। साहित्य ने हमेशा किसी भी काल एवं क्षेत्र के समाज…

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तमिल साहित्य:उद्गम और विकास

यह एक कौतुहल भरा सवाल हो सकता है, कि विश्व की प्राचीनतम भाषा की सूची में कौन-कौन सी भाषाएं आती हैं। क्या हम यह मानकर गलती नहीं कर रहे, कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जनक है। जब हम प्राचीनतम भाषाओं की बात करते हैं तो ग्रीक एवं अन्य भाषाओं की सूची एका एक मस्तिष्क…

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‘संस्कृत दिन’ है लेकिन दीन नहीं

“भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा” अर्थात् संस्कृति का मूल संस्कृतभाषा है। संस्कृत भाषा ही भारतीय संस्कृति का आदिस्रोत है। संस्कृत भाषा में ही भारत के सांस्कृतिक विचार, उच्चादर्श और नैतिक मूल्य समाहित हैं। आज ‘संस्कृत दिवस’ है।इस अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।आज हम मिलेंगे डॉ. अमृतलाल गौरीशंकर भोगायता जी से, जो ब्रह्मर्षि संस्कृत…

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क्या हम भटक गए हैं ?

          – अजय “आवारा” आज, धर्म के नाम पर चर्चा करना, धर्म के नाम पर अधिकार मांगना, धर्म की आड़ में मानवता की बात करना, और धर्म के नाम पर अपने स्वार्थ एवं जिद को सिद्ध करना, शायद एक फैशन बन चुका है। आज, इंसान धर्म के नाम पर बुरी तरह…

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लोकतंत्र में मतदान का महत्व

“दान कर, तो तू महादान कर, वतन पर अपना कर्ज अदा कर, मतदान दिवस है आज का दिन, चल निकल,आज तू मतदान कर। वतन का भी तुझ पर हक है, तेरे हिस्से का बाकी ये कर्ज है, काबिल को उसका हक अदा कर, चल निकल, आज तू मतदान कर। अभी नहीं जागा तो कर्ज रह…

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किस्सा बगीचे का

ज़रा-सी आहट पर चंद्रशेखर जी की नींद टूट गई।कुछ समय तो उन्होंने शून्य में रहकर दूसरी आवाज़ आने की प्रतीक्षा की।फिर अपने मन को समझाने की कोशिश की कि हो सकता है हवा चल रही हो और पत्तियों की सरसराहट हो रही हो लेकिन मन भला कभी समझाने से समझा है,अचानक उन्हें लगा कि बगीचे…

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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष : मंथन

International Women’s Day special : Curtain Raiser इस साल भी अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women’s Day) की तिथि आ पहुंची है। पर क्या, हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ वाद-विवाद, विवाद या विचारों की अभिव्यक्ति कर देना काफी रहेगा। क्या हमें इसके दूसरे पहलू पर विचार नहीं करना चाहिए ? जब महिला दिवस…

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