हर घर तिरंगा
-रामेंद्र सिंह चौहान संपादक डी डी न्यूज़, लखनऊ सवाल उठता है कि आखिर हर घर तिरंगा अभियान क्यों? यह तिरंगा अभियान इसलिए क्योंकि अब काशी में बम विस्फोट नहीं होते, अब बाबा…
-रामेंद्र सिंह चौहान संपादक डी डी न्यूज़, लखनऊ सवाल उठता है कि आखिर हर घर तिरंगा अभियान क्यों? यह तिरंगा अभियान इसलिए क्योंकि अब काशी में बम विस्फोट नहीं होते, अब बाबा…
किन्नर, वह समुदाय, जिसे शायद समाज अपना हिस्सा मानता ही नहीं है। पता नहीं, हम क्यों भूल जाते हैं कि किन्नर, हमारे इतिहास की रचना के एक प्रमुख स्तंभ रहे हैं। फिर वह चाहे महाभारत रही हो या कोई और कथा। राजघरानों में तो किन्नर कला, शिक्षा, ज्ञान एवं दर्शन के प्रतीक माने जाते थे।…
श्री राम एक युग विशेष के प्रतिनिधि न होकर, युग-युग के प्रतिनिधि हैं।उनका संघर्षपूर्ण चरित्र हमें कठिनाइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है। एक बात सत्य है कि भारतीय चिंतन-धारा को, जिन दो महान व्यक्तित्व ने सर्वाधिक प्रभावित किया है वे श्रीकृष्ण तथा श्री राम के व्यक्तित्व हैं।इन दो लोक नायकों के गरिमायुक्त, लोकोत्तर, अप्रतिम…
– अजय “आवारा” देश, एक सीमा में बंधा भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं है। न ही देश कुछ लोगों का समूह मात्र है और न ही देश एक शासन व्यवस्था का नाम है। देश, एक संस्कृति है, वहां रहने वाले लोगों की सांस्कृतिक पहचान है। देश, यूं ही…
– अजय “आवारा” आज, धर्म के नाम पर चर्चा करना, धर्म के नाम पर अधिकार मांगना, धर्म की आड़ में मानवता की बात करना, और धर्म के नाम पर अपने स्वार्थ एवं जिद को सिद्ध करना, शायद एक फैशन बन चुका है। आज, इंसान धर्म के नाम पर बुरी तरह…
होली, एक पर्व मात्र नहीं, बल्कि जीवन-दर्शन भी है।होली के रंग तो एक दिन में उतर जाते हैं।क्या जीवन के रंगों का समावेश हमेशा के लिए नहीं कर लेना चाहिए ? जाने-अनजाने, हम जीवन के रंगों को दरकिनार करते जाते हैं।पता नहीं क्यों हम चटकीले रंगों पर उदासीन रंगों को हावी होने देते हैं? क्यों…
‘द कश्मीर फाइल्स’ फ़िल्म देखकर,जो कुछ मैंने महसूस किया, वह ज़िन्दगी में पहली बार हुआ।मेरा दिमाग सुन्न हो चुका था, कुछ भी महसूस करने की जैसे शक्ति ही नहीं थी।निश्चित रूप से यह एक फ़िल्म नहीं थी, एक ऐसा सच था, जिससे सम्पूर्ण मानव-जाति को शर्मिंदा होना चाहिए। हम सभी ने तमाम कहानियां पढ़ीं हैं,जिनमें…
International Women’s Day special : Part – 4 विश्व-पटल पर नारी और कश्मीर-दर्शन – डॉ. अग्निशेखर “शायद जन्मांतरों की एक अव्यतीत स्मृति की तरह तुम मेरे भीतर किसी अबूझ उपत्यका में बहती नदी से निकली बाहर जैसे कोई फिल्मी दृश्य हो या महाभारत सीरियल का कोई अंश ‘मैं वितस्ता हूँ ‘ कहा तुमने…
International Women’s Day special : part – 3 मैं, मैं ही रहूंगी…. – डॉ. स्वर्ण ज्योति “मैं, मैं ही रहूंगी अपनी ही छवि बनाऊँगी मैं राधा नहीं बन सकती कि आज प्रेयसी प्रताड़ित है मैं सीता नहीं बन सकती कि आज पतिव्रता पतित है मैं मीरा नहीं बन सकती कि आज भक्ति भ्रमित है मैं…
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